अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी का असर भारत पर पड़ना शुरू हो गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित न निर्यातक हैं जो यूरोप-अमेरिका से हाई-एंड प्रोडक्ट की मांग घटने से तनाव में हैं. एनडीटीवी की टीम जब कार्पेट एक्सपोर्टर ओपी गर्ग के एक्सपोर्ट यूनिट में पहुंची तो वहां ग्रीस से भारत आईं मीरा राकी मिलीं जो भारत कार्पेट खरीदने आई हैं.
पिछले कई साल से कार्पेट एक्सपोर्ट का काम कर रहे ओपी गर्ग ने बताया कि हाई-एंड कार्पेट खरीदने वाले मीरा जैसे विदेशी खरीददार पिछले कुछ महीनों से तेज़ी से घटते जा रहा हैं. गर्ग ने कहा 'हाई एंड कार्पेट का कारोबार 90 प्रतिशत तक घट गया है...यूरोप और अमेरिका में हाई-एंड और महंगे कार्पेट की मांग तेज़ी से घटी है...क्योंकि इन देशों में लोगों की खरीदने की क्षमता घटती जा रही है.'
गर्ग कहते हैं कि जीएसी रिफंड में देरी ने भी उनके जैसे एक्सपोर्टरों का संकट और बढ़ा दिया है. कई मामलों में जीएसटी रिफंड एक साल से ज़्यादा समय से अटके हुए हैं.
ग्रीस से भारत कार्पेट खरीदने आईं मीरा राकी ने एनडीटीवी को बताया कि भारत में उनके जैसे ट्रेडरों को कई तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ता है. उन्होंने कहा कि भारत के पास अच्छे प्रोडक्ट हैं लेकिन विदेशी ट्रेडरों के लिए भारत में बिज़नेस करना आसान बनाने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए.
जिस हथकरघा उद्योग से यह कालीन आते हैं वह भी खस्ताहाल है. पहले हथकरघा उद्योग पर कोई टैक्स नहीं था, अब जीएसटी ने ऐसे छह करोड़ छोटे-बड़े उद्यमों का संकट बढ़ा दिया है.
फेडरेशन आफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइज़ेस यानी फिसमे ने सरकार से छोटे उद्योगों के लिए राहत की मांग की है. फिसमे के सेक्रेटरी जनरल कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में डिमांड घटती जा रही है जिस वजह से विशेषकर माइक्रो और स्माल इंटरप्राइज़ेस के लिए बिज़नेस करना मुश्किल होता जा रहा है. अब देखना होगा कि सरकार कितनी जल्दी इस दिशा में पहल करती है.