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तीन महीने में 8500 रुपये तक बढ़ी EMI, जानें नया घर अभी खरीदें या नहीं, कैसे किस्त का बोझ रखें कम

Home Loan Rate : 1 करोड़ के लोन पर मई तक 6.50 फीसदी लोन रेट था तो अब वो 7.9 फीसदी हो गया है. इससे लोन की ईएमआई पर 2500 रुपये से 8500 रुपये प्रति माह तक का इजाफा हुआ है.
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NDTV Profit हिंदी02:54 PM IST, 11 Aug 2022NDTV Profit हिंदी
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आरबीआई (RBI) द्वारा रेपो रेट (Repo Rate) में एक बार फिर 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है और इस तरह से तीन माह में कुल 1.40 फीसदी का इजाफा नीतिगत ब्याज दर में हुआ है. इस तरह से तीन माह में ईएमआई में करीब 11.35 फीसदी की वृ्द्धि हुई है. नो ब्रोकर के CEO और सह संस्थापक अमित कुमार अग्रवाल ने बताया कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से 11 से 15 हजार रुपये का बोझ पड़ा है. उनका कहना है कि 1 करोड़ के लोन पर मई तक 6.50 फीसदी लोन रेट था तो अब वो 7.9 फीसदी हो गया है. इससे लोन की ईएमआई पर 2500 रुपये से 8500 रुपये प्रति माह तक का इजाफा हुआ है. हालांकि अगर आप नया घर लेने की सोच रहे हैं या मौजूदा होम लोन धारक हैं तो इन बातों पर गौर जरूर करें...

लोन राशि-EMI(पहले)-EMI अब-वृद्धि
1 करोड़ रुपये-74500-83000-8500 रुपये
30 लाख रुपये -22, 367- 24, 906 -2539 रुपये
50 लाख रुपये 37,278- 41,500 -4222 रुपये

Flat खरीदने की सोच रहे हैं तो क्या करें

अग्रवाल का कहना है कि शार्ट टर्म में यह झटका भले ही हो, अगर आप घर खरीदने की सोच रहे थे और आपको रेपो रेट में लगातार इजाफे से ऐसा लग सकता है कि आपकी ईएमआई बढ़ जाएगी, लेकिन लंबी अवधि में देखें तो आज जो 5.4 फीसदी की REPO Rate है, जो पिछले 20 साल की औसत नीतिगत ब्याज 6-8 फीसदी रही है. ऐसे में अगर आप मकान खरीदने की सोच रहे हैं तो सिर्फ ईएमआई के 1000-1500 के बढ़ने के आधार पर फैसला न बदलें.

लंबी अवधि की सोच कर निर्णय़ करें

जब आप एक लोन लेते हैं तो 20 साल के अंतराल में हमने ईएमआई में गिरावट भी देखी है और आप बढ़ोतरी का देख रहे हैं, लेकिन लंबी अवधि में यह नुकसानदेह होगा. अभी भी ब्याज दर अफोर्डेबल रेंज में हैं. पिछले 6 से 8 माह में किराया बढ़ रहा है. ऐसे में अगर आप मकान लेने की बजाय किराये पर रह रहे हैं तो शायद 1-2 हजार रुपये किराया बढ़ गया होता. 

मकानों की कीमत अभी भी किफायती स्तर पर
अगर हम हैदराबाद को छोड़ दें तो अन्य शहरों में महानगरों  में अभी भी मकान अफोर्डेबल रेंज में हैं. ऐसे में अगर आप रहने के लिए मकान देख रहे हैं तो यह अभी भी अच्छा अवसर है. लेकिन अगर निवेश के लिए प्रापर्टी खरीद रहे हैं तो अभी वैसा उछाल नहीं है कि प्रापर्टी बुकिंग या खरीद के 1-2 साल में उसके दाम बढ़ने के साथ उसे बड़े मुनाफे के साथ बेचा जा सके. वैसे भी नवरात्रि और दीपावली के दौरान मकानों की डिमांड बढ़ने के साथ रेट भी कुछ बढ़ जाते हैं, ऐसे में अभी 1-2 महीने के भीतर भी मकान खरीदते हैं तो यह फैसला गलत नहीं होगा. 

ईएमआई पर मकान या किराये पर रहना बेहतर
घर लेना लोगों का सपना होता है और अगर ऐसी ख्वाहिश है तो लेना ही बेहतर है, लेकिन अगर आप ये सोच रहे हैं कि अगर मैं अपनी कमाई का 3-5 प्रतिशत किराये पर खर्च कर रहा हूं तो 8 फीसदी ईएमआई पर खर्च क्यों करूं, तो वो गणित अलग है. अभी सालाना 5 फीसदी की दर से कीमतों में वृद्धि नहीं हो रही है, लेकिन यह चीज उन लोगों के लिए अवसर भी है, जो अभी तक घर खरीद नहीं पाए हैं. मकानों की कीमत अभी फेयर प्राइसिंग भी है.


ईएमआई का बोझ कैसे हल्का करें?
अगर आप अभी ज्यादा ईएमआई का बोझ नहीं सह सकते हैं तो लोन की अवधि बढ़वा सकते हैं. दूसरा विकल्प यह भी है कि अगर आपका लोन किसी ऐसे बैंक या एनबीएफसी (NBFC)से चल रहा है, जहां ब्याज दर दूसरों के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं तो आप लोन ट्रांसफर (Loan Trasfer)का विकल्प भी चुन सकते हैं. बैंकों के बीच आजकल इसको लेकर होड़ भी चल रही है. तीसरा यह भी है कि अगर आपके पास कुछ अतिरिक्त धन है, तो प्री पोन पेमेंट (Preponement) यानी समय से पहले कुछ मूलधन चुका दें. इससे भी आपकी ईएमआई का बोझ औऱ लोन की अवधि घट जाती है. 

लोन फिक्स्ड रखें या फ्लोटिंग
फिक्स्ड की बजाय फ्लोटिंग ही बेहतर है. अभी फिक्स्ड बेहतर नहीं है. लंबी अवधि में कर्ज की दरों में उतार-चढ़ाव रहता है. मौजूदा हालात में ऊंची ब्याज दरों को देखें तो फ्लोटिंग ही ज्यादा बेहतर है. 


महंगाई उछली तो क्या अभी औऱ बढ़ेगी ईएमआई?
अगर रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) खत्म हो जाता है, तो थोड़ी राहत हो सकती है. अमेरिका में भी तीन बार ब्याज दर बढ़ाने के बजाय रुख नरम है. भारत में त्योहारों के दौरान महंगाई में उछाल का रुख रहता है. लेकिन दीपावली-नए साल की बजाय जियो पोलिटिकल कारणों पर ज्यादा निर्भर करेगा कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दौर आगे भी जारी रहेगा या नहीं. 

क्या लोहा-स्टील, सीमेंट के रेट बढ़ने से भी घर महंगे हुए?
अग्रवाल ने कहा कि यह सही है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और सप्लाई चेन में रुकावट के कारण पिछले कुछ महीनों में निर्माण सामग्री से जुड़े सभी तरह के कच्चे माल के दाम तेजी से बढ़े हैं. इसमें करीब 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है, पिछले 8-10 सालों की लंबी अवधि में भी कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है. लेकिन पिछले कुछ सालों में नोटबंदी, रेरा और जीएसटी जैसे कानूनों का असर रियल एस्टेट सेक्टर पर देखा गया है.

बिल्डर ज्यादा रेट इन वर्षों में बढ़ा नहीं पाए हैं. कोविड काल में भी बिल्डर मंदी से उबरने और लंबे समय से अटकी पड़ी अनसोल्ड इनवेंट्रीज को बेचने औऱ कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण बढ़ा नहीं पाए हैं. वो अपना मार्जिन घटाकर भी पुराने प्रोजेक्ट्स को खत्म करने की होड़ में हैं, ताकि नए प्रोजेक्ट्स के लिए पूंजी का जुगाड़ किया जा सके. जबकि बिल्डर के लिए रिप्लेसमेंट वैल्यू बढ़ती जा रही है.

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