
फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस के साथ एसेट डील को आगे बढ़ाने की इजाजत मांगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
फ्यूचर-एमेजॉन विवाद में फ्यूचर ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से रिलायंस के साथ असेट डील प्रकिया आगे बढ़ाने की इजाजत मांगी है, जिसके बाद फ्यूचर ग्रुप की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि क्या फ्यूचर ग्रुप को फ्यूचर रिटेल-रिलायंस एसेट सेल डील के लिए रेगुलेटरी मंजूरी के लिए प्रक्रिया की इजाजत दी जा सकती है. फ्यूचर ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 'कोर्ट ने पहले ही अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगा दी है. हमें शेयरधारक की मंज़ूरी हासिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए. सीसीआई, एनसीएलटी से मंजूरी लेने के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ने देना चाहिए.'
ग्रुप ने कहा है कि 'सौदे को अंतिम रूप देने में महीनों तक चलने वाली लंबी प्रक्रियाएं शामिल हैं. अदालत ने पहले ही एमेजॉन को यह निर्देश देकर सुरक्षित कर दिया है कि सौदे की अनुमति के लिए कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा. यदि अनुमोदन लंबित होने तक अंतिम चरण तक सौदे को आगे बढ़ने की अनुमति दी जाती है तो कोई नुकसान नहीं होगा.'
ग्रुप ने आरोप लगाया है कि एमेजॉन प्रक्रिया को पंगु बनाने की कोशिश कर रहा है. FRL को उधारदाताओं की ओर से
दिवालियापन की कार्यवाही की धमकी का सामना करना पड़ रहा है.
फ्यूचर के खिलाफ मध्यस्थता मामले पर रोक के खिलाफ एमेजॉन की अपील पर कोर्ट बाद में अलग से सुनवाई करेगा.
बता दें कि फ्यूचर-एमेजॉन विवाद पर अब दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अमेजन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. उसने दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगापुर ट्रिब्यूनल में अमेजन की मध्यस्थता की कार्यवाही पर रोक के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. 5 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने सिंगापुर ट्रिब्यूनल में अमेजन की मध्यस्थता की कार्यवाही पर रोक लगाई थी. डिवीजन बेंच ने फ्यूचर ग्रुप की अपील पर अंतरिम आदेश पारित किया था. एक फरवरी को अगली सुनवाई तक मध्यस्थता पर रोक लगाई गई है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के सिंगापुर में मध्यस्थता जारी रखने के आदेश पर रोक लगाई गई थी.
हाईकोर्ट ने कहा कि CCI द्वारा डील को दी गई मंजूरी पर रोक लगाने और उस पर तथ्यों को छुपाने के फैसले से प्रथम दृष्टया मामला फ्यूचर ग्रुप के पक्ष में है.
मंगलवार को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फ्यूचर की सिंगापुर में मध्यस्थता को समाप्त करने की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद मामले में डिवीजन बेंच के सामने अपील की गई थी.
दरअसल, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के 18 दिसंबर में 2019 के एमेजॉन-फ्यूचर डील के लिए मंजूरी को निलंबित कर दिया था. CCI का फैसला था कि एमेजॉन द्वारा प्रासंगिक जानकारी का खुलासा नहीं किया गया था. CCI ने एमेजॉन पर ₹200 करोड़ का जुर्माना लगाया था, लेकिन उसने एमेजॉन को 17 फरवरी तक नए दस्तावेज़ दाखिल करने का समय दिया, जिसके बाद वह सौदे की अनुमति पर पुनर्विचार करेगा.