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महीनेभर के वाद-विवाद के बाद साथ बैठीं रिलायंस जियो और अन्य टेलीकॉम कंपनियां

भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी रिलायंस जियो लेकर टेलीकॉम सेक्टर में कूद चुके हैं, लेकिन पुराने धुरंधरों ने उनका किसी भी तरह से स्वागत नहीं किया. मुकेश अंबानी की इस पहल को उनकी विरोधी टेलीकॉम कंपनियों ने 20 अरब डॉलर का स्टार्टअप कहकर मजाक उड़ाया था.
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NDTV Profit हिंदी02:05 AM IST, 10 Sep 2016NDTV Profit हिंदी
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भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी रिलायंस जियो लेकर टेलीकॉम सेक्टर में कूद चुके हैं, लेकिन पुराने धुरंधरों ने उनका किसी भी तरह से स्वागत नहीं किया. मुकेश अंबानी की इस पहल को उनकी विरोधी टेलीकॉम कंपनियों ने 20 अरब डॉलर का स्टार्टअप कहकर मजाक उड़ाया था.

पिछले काफी दिनों से धमकियों, शिकायतों, आरोप-प्रतियारोपों और यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक को घसीटे जाने के बाद आखिरकार शुक्रवार को देश की तमाम बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के बड़े अधिकारियों ने एक कमरे में बैठकर अपने मुद्दों और विवादों को सुलझाने की कोशिश की.

दूरसंचार क्षेत्र के नियामक ट्राई ने शुक्रवार को दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों 'रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया' से मुलाकात कर नेटवर्क अंतरसंपर्क को लेकर कंपनियों के बीच जारी विवाद पर बातचीत की, लेकिन इस बैठक से दूरसंचार उद्योग के संगठन सीओएआई के अधिकारियों को बाहर रखा.

रिलायंस जियो इन्फोकॉम के निदेशक मंडल के सदस्य महेंद्र नहाटा ने घंटेभर चली बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, 'यह न्याय की लड़ाई है, यह ग्राहकों की लड़ाई है. यह न सिर्फ रिलायंस जियो या एयरटेल या वोडाफोन के ग्राहकों के लिए बल्कि सभी भारतीय ग्राहकों के लिए है.' जियो ने मौजूदा दूरसंचार परिचालकों पर आरोप लगाया है कि वे रिलायंस जियो के मोबाइल नेटवर्क को उनके नेटवर्क से जुड़ने के लिए पर्याप्त संख्या में उपकरण प्रदान नहीं कर रहे हैं.

नहाटा ने कहा, 'हमने सही संख्या में संपर्क, सही मात्रा में अंतरसंपर्क की मांग की है. हमने ट्राई के सामने अपना विचार रखा. ट्राई की जिम्मेदारी है कि वह इस पर विचार करे. ट्राई ने इस संबंध में कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है.' बता दें कि मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए किसी दूरसंचार कंपनी के ग्राहक या नंबर पर फोन करने के लिए अंतरसंपर्क आवश्यक है.

दूरसंचार क्षेत्र में कार्यरत मौजूदा कंपनियों की ओर से रिलायंस जियो से संघर्षरत उद्योग संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने आरोप लगाया है कि रिलायंस जियो के दबाव में उसे बैठक से बाहर रखा गया.

उद्योग मंडल के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज ने कहा, 'सीओएआई को रिलायंस जियो के कहने पर ट्राई की बैठक से बाहर रखा गया और ट्राई ने अप्रत्याशित तौर पर उनकी मांग को चुप-चाप मान लिया.' नहाटा ने इस आरोप को यह कहते हुए खारिज किया कि उन्होंने ऐसा कोई आग्रह नहीं किया. उन्होंने कहा कि जिस किसी को भी आमंत्रित किया गया वे बैठक में भाग लें.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने अंतरसंपर्क क्षेत्रों के संबंध में रिलायंस जियो और एयरटेल, वोडाफोन तथा आइडिया जैसे मौजूदा दूरसंचार परिचालकों के साथ चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए बैठक बुलाई थी.

सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने गुरुवार को ट्राई को लिखा है कि शुक्रवार को जो बैठक बुलाई गई है जिसमें कि एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया को चर्चा के लिए बुलाया गया है, एसोसिएसन सभी सदस्यों से जुड़ी है न कि सिर्फ इन तीन दूरसंचार कंपनियों से.

सीओएआई ने पत्र में लिखा है, 'इसलिए हम आग्रह करते हैं सीओएआई के सभी सदस्यों को उक्त बैठक में बुलाया जाए.' सीओएआई ने अगस्त में ट्राई पर पक्षपात का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में ऐसे आरोप लगाने के लिए माफी भी मांग ली थी.

रिलायंस जियो जिसने पांच सितंबर को अपनी सेवा वाणिज्यिक तौर पर पेश की, ने मौजूदा परिचालकों पर आरोप लगाया था कि वे पर्याप्त अंतरसंपर्क पोर्ट नहीं छोड़ रही हैं और उसने इस संबंध में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है.

सीओएआई मौजूदा दूरसंचार परिचालकों की राय का प्रतिनिधित्व करते हुए रिलायंस जियो का यह कहते हुए विरोध कर रही है कि यह संगठन में बहुमत का विचार है. रिलायंस जियो भी सीओएआई का सदस्य है, लेकिन उसे संगठन में प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने दरकिनार कर दिया है.

रिलायंस जियो ने कहा है कि उसकी सेवा 31 दिसंबर तक मुफ्त हैं, जिसके बाद उपभोक्ताओं से मुफ्त वॉयस काल समेत टैरिफ प्लान के आधार पर शुल्क लिया जाएगा.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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