विश्वभर में कच्चे तेल (Crude Oil) की आसमान छूती कीमतों में उत्पादन बढ़ने की क्षीण संभावनाओं के बीच कई देश इस समस्या से अपने स्तर पर निपटने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए भारत भी अपने विकल्पों पर विचार कर रहा है. जानकारी है कि भारत कच्चे तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तर्ज पर अपने रणनीतिक तेल भंडार से कच्चे तेल निकालने की संभावनाओं पर गौर कर रहा है. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि भारत अपने रणनीतिक तेल भंडार से निकासी के तौर-तरीकों पर काम कर रहा है. हालांकि, सरकार ने इसके लिए कोई समयसीमा नहीं तय की है.
इस अधिकारी ने अपना नाम सामने न आने की शर्त पर कहा कि सरकार इस संबंध में प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों के संपर्क में बनी हुई है. उन्होंने कहा कि रणनीतिक भंडार से तेल की निकासी दूसरे देशों के साथ तालमेल बनाकर की जाएगी.
अमेरिका ने दिया था सुझाव
अमेरिका ने तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का अनुरोध ठुकराए जाने के बाद दुनिया के प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों से अपने रणनीतिक भंडार से कुछ तेल निकालने का सुझाव दिया है. भारत के अलावा चीन एवं जापान से भी यह अनुरोध किया गया है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत पर काफी असर पड़ा है. दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश होने से भारत को अपनी विदेशी मुद्रा का एक बड़ा हिस्सा तेल आयात पर खर्च करना पड़ रहा है.
अमेरिकी कदम के बाद ब्रेंट क्रूड के भाव 78.72 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गए हैं जो दस दिन पहले तक 81.24 डॉलर प्रति बैरल पर थे. भारत के पास 53.3 लाख टन का कच्चे तेल का रणनीतिक तेल भंडार है.
अगर घरेलू बाजार में ईंधन तेल के घरेलू दामों की बात करें तो 23 नवंबर, 2021 को देश में पेट्रोल-डीजल के दाम आज भी स्थिर हैं. यह लगातार 19वां दिन है, जब देश में ईंधन तेलों के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इससे पहले इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 5 व 10 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी कम करने की घोषणा की थी.
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