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This Article is From Aug 16, 2021

Subhadra Kumari Chauhan Google Doodle: सुभद्रा कुमारी चौहान की याद में गूगल ने बनाया डूडल, लिखी थी 'झांसी की रानी' कविता

Subhadra Kumari Chauhan Google Doodle: हिंदी की लोकप्रिय कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को हुआ. उनकी लोकप्रिय कविता 'झांसी की रानी' है.

Subhadra Kumari Chauhan Google Doodle: सुभद्रा कुमारी चौहान की याद में गूगल ने बनाया डूडल, लिखी थी 'झांसी की रानी' कविता
Subhadra Kumari Chauhan Google Doodle: गूगल ने डूडल बनाकर सुभद्रा कुमारी चौहान को किया याद
नई दिल्ली:

हिंदी की लोकप्रिय कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को हुआ. सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती पर गूगल ने Subhadra Kumari Chauhan's 117th Birthday शीर्षक से डूडल बनाकर उन्हें याद किया है. सुभद्रा कुमारी चौहान को भारतीय स्वाधीनता संग्राम की पहली महिला सत्याग्रही (Subhadra Kumari Chauhan Google Doodle: ) के तौर पर भी जाना जाता है. इस गूगल डूडल को न्यूजीलैंड की आर्टिस्ट प्रभा मल्या ने बनाया है. सुभद्रा कुमारी चौहान को उनकी कविता 'झांसी की रानी (Jhansi Ki Rani)' के लिए पहचाना जाता है. वीर रस से परिपूर्ण और झांसी की रानी की जिंदगी को कुछ पंक्तियों में संजोने वाली यह कविता कालजयी है.

बॉलीवुड में 'झांसी की रानी'
सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) ने जिस शानदार ढंग से झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का चित्रण अपनी कविता में किया है, उसी तरह कई बॉलीवुड एक्ट्रेस हैं जिन्होंने झांसी की रानी के किरदार को परदे पर उतारा है. हालांकि 1953 में पहली बार झांसी की रानी पर भारतीय सिनेमा में फिल्म बनी थी. इसका निर्देश सोहराब मोदी ने किया था जबकि झांसी की रानी उनकी पत्नी मेहताब बनी थीं. 2019 में रिलीज हुई फिल्म 'मणिकर्णिका' का नाम लिया जा सकता है. इस फिल्म में कंगना रनौत ने झांसी की रानी का किरदार निभाया था. हालांकि टीवी सीरियल्स में भी कई बार झांसी की रानी को दिखाया गया है.

सुभद्रा कुमारी चौहान की 'झांसी की रानी' कविता
यहां हम सुभद्रा कुमारी चौहान (Hindi Writer Subhadra Kumari Chauhan) की लिखी कविता झांसी की रानी (Jhani Ki Rani) की कुछ पंक्तियां पेश कर रहे हैं, पूरी कविता पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें (झांसी की रानी)

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, 
बूढ़े भारत में भी आयी फिर से नयी जवानी थी, 
गुमी हुई आज़ादी की क़ीमत सबने पहचानी थी, 
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी, 
चमक उठी सन् सत्तावन में 
वह तलवार पुरानी थी। 
बुंदेले हरबोलों के मुँह 
हमने सुनी कहानी थी। 
ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो 
झाँसी वाली रानी थी॥ 
 

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