अमिताभ बच्चन की शहंशाह में जब महेश आनंद स्क्रीन पर उतरे, तो दर्शकों ने तुरंत नोटिस किया कि ये कोई आम विलेन नहीं है. लंबा कद, दमदार पर्सनालिटी और आंखों में डर पैदा करने वाला कॉन्फिडेंस...इन सबने उन्हें 80s और 90s का एक यादगार नेगेटिव किरदार बना दिया. बड़े पर्दे पर वो हीरो से भिड़ने वाले खलनायक थे, लेकिन असल जिंदगी में खुद अपनी लड़ाई लड़ रहे थे. ये लड़ाई दर्द, धोखे और अकेलेपन से भरी थी. शहंशाह और कई हिट फिल्मों में काम करते-करते उनका करियर तेजी से ऊपर जा रहा था. वो लगातार अमिताभ बच्चन, गोविंदा, सलमान खान, अक्षय कुमार और सनी देओल जैसे सितारों के सामने दमदार रोल करते दिख रहे थे. लेकिन एक शूटिंग के दौरान हुआ एक्सीडेंट उनकी लाइफ का टर्निंग पॉइंट बन गया. महीनों अस्पताल और फिर लंबे समय तक बिस्तर पर रहने की वजह से काम मिलना बंद हो गया. इसी दौरान उनके भाई ने करोड़ों रुपये का धोखा दे दिया और वो अंदर से टूटने लगे. धीरे-धीरे शराब उनका सहारा बन गई.
5 शादियों के बाद भी रह गए अकेले
उनकी निजी जिंदगी भी किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं थी. पांच शादियां हुईं, लेकिन कोई रिश्ता टिक नहीं पाया. दूसरी शादी से उन्हें एक बेटा हुआ...त्रिशुल, जिसे वो बेहद प्यार करते थे. रिश्ता टूटने पर बेटा कनाडा चला गया और महेश हर दिन उसकी याद में जीते रहे. सोशल मीडिया पर वो अक्सर दिल तोड़ देने वाले मैसेज लिखते थे कि बस एक बार बेटा उन्हें गले लगा ले. नाम और काम होने के बावजूद वो दिल से बेहद अकेले होते गए.
कमबैक की कोशिश, लेकिन जिंदगी ने साथ नहीं दिया
2018 में रंगीला राजा मिली तो लगा अब किस्मत मुस्कुरा रही है. उन्होंने इसे अपनी नई शुरुआत कहा. मगर फिल्म नहीं चली और वो फिर उसी सन्नाटे में लौट गए. कुछ समय बाद वो अपने अपार्टमेंट में अकेले मिले. टीवी चल रही थी, पास में खाना और शराब रखी थी, लेकिन वो दुनिया से जा चुके थे. दो दिनों तक दरवाजा न खुलने पर ही सबको पता चला.
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