चरित्र कलाकार कादर खान (Kadar Khan) ने बॉलीवुड में हर तरह की भूमिका निभा कर लोगों का दिल जीता. कादर खान (Kadar Khan) आन स्क्रीन और आफ स्क्रीन दोनो में महत्वपूर्ण थे, जहां एक तरफ उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया वहीं 250 से अधिक फिल्मों को अपनी लेखनी से जीवंत बनाया था. इंजीनियर, पटकथालेखक, अभिनेता, संवाद लेखक ने नववर्ष की सुबह देखने से पहले टोरंटो में दुनिया को अलविदा कह कर चले गए. काबुल में जन्मे कादर खान (Kadar Khan) बॉलीवुड में पारी का आगाज करने से पहले सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्राध्यापक थे.
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अभिनेता दिलीप कुमार ने कॉलेज के वार्षिक समारोह में एक नाटक के दौरान उनकी प्रतिभा को पहचाना और बस यहीं से उन्होंने बॉलीवुड की ओर कूच किया. यह बड़े व्यावसायिक फिल्मों और 1960 के दशक के रोमांटिक नायकों का दौर था. 1970 के दशक की शुरुआत में पहले से ही अमिताभ बच्चन के ‘‘एंग्री यंगमैन'' के लिए जमीन तैयार थी. अभिनेता बनने से पहले कादर खान ने फिल्मों में अपनी शुरूआत एक लेखक के तौर पर की थी. उन्होंने रणधीर कपूर और जया बच्चन की फिल्म ‘जवानी दीवानी' के लिए संवाद लिखे थे.
RIP Kader Khan Saab.
— Govinda (@govindaahuja21) January 1, 2019
He was not just my "ustaad" but a father figure to me, his midas touch and his aura made every actor he worked with a superstar. The entire film industry and my family deeply mourns this loss and we cannot express the sorrow in words.#ripkaderkhansaabpic.twitter.com/NISPM1UMs1
कादर खान (Kadar Khan) ने राजेश खन्ना के साथ फिल्म ‘दाग' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. फिल्म ‘अमर अकबर एन्थोनी' और ‘शोला और शबनम' में उनकी लेखनी को काफी लोकप्रियता मिली. ‘शराबी', 'लावारिस', ‘मुकद्दर का सिकंदर', ‘नसीब' और ‘अग्निपथ' जैसी फिल्मों में उन्होंने बिग बी के लिए कई मशहूर संवाद लिखे और उनके करियर को आगे बढ़ाने में उनकी मदद की. जिससे इस मेगास्टार को 1991 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी नवाजा गया.
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बड़े पर्दे पर गोविंदा के साथ उनकी जोड़ी भी काफी मशहूर रही. दोनों ने ‘कुली नंबर 1', ‘राजा बाबू', और ‘साजन चले ससुराल', ‘हीरो नंबर 1' और ‘दुल्हे राजा' जैसी कई हिट फिल्में दी. इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न तरह की फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया. कॉमेडी में हाथ आजमाने से पहले उन्होंने फिल्म ‘दिल दीवाना', ‘मुकद्दर का सिकंदर' और ‘मिस्टर नटवरलाल' में गंभीर किरदार अदा किए.
T 3045 - Kadar Khan passes away .. sad depressing news .. my prayers and condolences .. a brilliant stage artist a most compassionate and accomplished talent on film .. a writer of eminence ; in most of my very successful films .. a delightful company .. and a mathematician !! pic.twitter.com/l7pdv0Wdu1
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) January 1, 2019
‘मेरी आवाज सुनो' (1982) और अंगार (1993) के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक की श्रेणी में फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला. फिल्म ‘बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन के पुरस्कार से भी नवाजा गया. कादर खान आखिरी बार 2017 की फिल्म ‘मस्ती नहीं सस्ती' में नजर आए, जो कब आई और चली गई लोगों को पता ही नहीं चला. इससे पहले वह फिल्म ‘तेवर‘ (2015) में नजर आए थे. उन्होंने फिल्मी दुनिया से आधिकारिक तौर पर कभी सन्यास नहीं लिया लेकिन बीते कुछ साल में वह भीड़ में कहीं खो जरूर गए थे.
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कादर खान (Kadar Khan) ने 2015 में फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही' के ट्रेलर लॉन्च के दौरान कहा था, ‘‘एक लेखक के तौर पर मुझे लगता है कि मुझे वापसी करनी चाहिए. मैं पुरानी जुबान (भाषा) वापस लाने की पूरी कोशिश करूंगा और लोगों का जरूर उस ‘जुबान' में बात करना पसंद आएगा.'' अपनी जिंदगी के आखिरी कुछ वर्षों में कादर खान मुम्बई की चकाचौंध से दूर हो गए और अपने बेटे के साथ टोरंटो चले गए. वहीं एक अस्पताल में 31 दिसम्बर शाम करीब छह बजे उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली. खान का अंतिम संस्कार भी वहीं (कनाडा में) किया जाएगा.
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(इनपुट भाषा से)
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