
मायानगरी मुंबई में एक्टर बनना इतना आसान नहीं है, जितना लोग सोचते हैं और आज के दौर में तो बॉलीवुड में काम मिलना समझ लो किस्मत का खेल है. पुराने दौर में कई अलग-अलग शहरों से कई नौजवान एक्टर बनने के लिए या कहें सिनेमा की दुनिया में काम करने के लिए फैमिली को छोड़ बॉम्बे (पुराने दौर में) आए थे, लेकिन इससे पहले उन्हें सड़क पर संघर्ष करना पड़ा था. आज हम बात करेंगे हिंदी सिनेमा के इस उस महान कॉमेडी एक्टर की, जिसे देखने के बाद आज भी लोगों के चेहरे पर हंसी खिल उठती है. हालांकि यह दिग्गज आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन इनकी अदायगी को भुलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. अब इनके एक्टर बेटे ने एक मजेदार किस्सा शेयर किया है.
बस कंडक्टर की नौकरी के लिए की 'चीटिंग'
बात कर रहे हैं दिग्गज अभिनेता जॉनी वॉकर साहब की, जिनका असली नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी था, लोग इन्हें जॉनी वॉकर के नाम से जानते हैं. बीती 29 जुलाई को उनके निधन को पूरे 22 साल बीते थे. 29 जुलाई 2003 में उनका मुंबई में निधन हुआ था. वह इंदौर (मध्य प्रदेश) से मुंबई में एक्टर बनने नहीं बल्कि बस कंडक्टर की नौकरी के लिए गए थे. दिग्गज अभिनेता की डेथ एनिवर्सरी पर उनके एक्टर बेटे नासिर खान ने एक बड़ा मजेदार किस्सा शेयर किया. एक्टर ने बताया कि जब उनके पिताजी मुंबई में बस कंडक्टर की नौकरी के लिए गए थे, तो वह अपनी एक आंख की 90 फीसदी रोशनी पहले ही खो चुके थे. ऐसे में आई टेस्ट पास करने के लिए उन्होंने पूरा चार्ट रट लिया और पास हो गए.
एक्टर की आखिरी फिल्म
नासिर खान ने अपने पिता की एक क्लिप भी शेयर की है, जिसमें जॉनी वॉकर इस बात को एक्सेप्ट कर रहे हैं और इतना ही उन्हें मरते दम तक यह चार्ट याद था. एक्टर का निधन 76 साल की उम्र में हुआ था. उन्हें पॉपुलर सॉन्ग 'सिर जो तेरा चकराए' से जाना जाता है. उन्होंने पुराने दौर के तकरीबन सभी सुपरस्टार के साथ काम किया है, जिसमें राज कपूर, दिलीप कुमार, देवानंद और आदि सुपरस्टार के नाम शामिल हैं. उन्होंने 50 के दशक में हिंदी सिनेमा ज्वॉइन किया था और तकरीबन 300 फिल्मों में काम किया. उनकी आखिरी फिल्म कमल हासन की चाची 420 (1997) थी, जिसमें वह जोसेफ के रोल में दिखे थे.
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