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सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है....कहने वाले खूंखार विलेन ने आज ही के दिन दुनिया को कहा था अलविदा

इस विलेन का अपना अलग ही अंदाज था. कभी इन्हें स्मगलिंग का सोना इधर उधर करते देखा गया तो कभी ऐसे पुलिसवाले बने कि दिल ही जीत लिया.

सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है....कहने वाले खूंखार विलेन ने आज ही के दिन दुनिया को कहा था अलविदा
हिंदी फिल्मों के जबरदस्त विलेन थे अजीत
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नई दिल्ली:

बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकार हुए हैं जिन्होंने अपने अभिनय और संवादों से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई. इनमें कादर खान और अजीत जैसे नाम आज भी लोगों की यादों में जिंदा हैं. बुधवार को अभिनेता जैकी श्रॉफ ने इन दोनों दिवंगत कलाकारों को श्रद्धांजलि दी. यह दिन खास था क्योंकि जहां एक ओर यह कादर खान की 88वीं जयंती थी, वहीं दूसरी ओर अजीत की 27वीं पुण्यतिथि भी थी. जैकी श्रॉफ ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर दोनों कलाकारों को सादगी से याद किया.

कादर खान को श्रद्धांजलि देते हुए जैकी श्रॉफ ने लिखा, "कादर खान जी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं." कादर खान ने 1973 में फिल्म 'दाग' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी, जिसमें उन्होंने एक वकील की भूमिका निभाई थी. इसके बाद उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया. वह सिर्फ एक अच्छे अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि एक बेहतरीन संवाद लेखक भी थे. उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों के डायलॉग लिखे. उन्होंने अमिताभ बच्चन, गोविंदा, मिथुन चक्रवर्ती और अनिल कपूर जैसे दिग्गजों के साथ काम किया और मनमोहन देसाई और डेविड धवन जैसे लोकप्रिय निर्देशकों के साथ भी उनका रचनात्मक सहयोग रहा.

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कादर खान की प्रमुख फिल्मों में 'हिम्मतवाला', 'आंखें', 'कुली नंबर 1', 'दूल्हे राजा', और 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी' जैसी फिल्में शामिल हैं. उन्होंने पारिवारिक ड्रामा से लेकर कॉमिक किरदारों तक हर भूमिका को बखूबी निभाया. 'घर हो तो ऐसा', 'बीवी हो तो ऐसी', और 'जैसी करनी वैसी भरनी' जैसी फिल्मों में उन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया और भावुक भी किया. 2018 में एक लंबी बीमारी के बाद, 81 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. वह सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी नाम की एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थे.

वहीं, जैकी श्रॉफ ने अजीत को भी याद किया और उनके एक मशहूर डायलॉग के साथ उनकी फोटो साझा की. उन्होंने लिखा, "अजीत जी को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए." बता दें कि अजीत का असली नाम हामिद अली खान था. वे करीब चार दशकों तक हिंदी सिनेमा का हिस्सा रहे और 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया.

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उन्होंने शुरुआती दौर में लीड एक्टर के रूप में काम किया और 'बेकसूर', 'नास्तिक', 'बड़ा भाई','मुगल-ए-आजम', और, 'नया दौर' जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाईं. बाद में वे विलेन के रूप में मशहूर हुए और उनके संवाद आज भी लोगों की जुबान पर हैं, खासकर 'सारा शहर मुझे लायन के नाम से जानता है' जैसे डायलॉग्स ने उन्हें अमर बना दिया. अजीत का 1998 में हैदराबाद में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. उन्होंने 76 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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