
आर बाल्की एक फिल्म निर्माता और पटकथा लेखक हैं, जिन्हें चीनी कम, पा, पैडमैन (अक्षय कुमार) जैसी फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता है. निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म अमिताभ बच्चन और तब्बू के साथ "चीनी कम" थी, जिसे उन्होंने खुद लिखा था और यह हास्य की दृष्टि से एक सफल फिल्म साबित हुई. मेगास्टार श्री अमिताभ बच्चन के साथ अपने लंबे जुड़ाव के लिए, इस लेखक-निर्देशक ने उनके जन्मदिन के अवसर पर एक भावपूर्ण पत्र लिखा.
मैं आपको सीधे बोलने के बजाय यह लिख क्यों रहा हूं?
क्योंकि आपसे सार्वजनिक रूप से बात करना निजी रूप से बात करने से ज़्यादा सुरक्षित है — वरना आप मुझे कोई ‘भ्रमित मूर्ख' कह देंगे, या फिर अपने मूड के हिसाब से कुछ और ज़्यादा तंज भरा शब्द इस्तेमाल करेंगे.
आज मैंने Downton Abbey का सबसे शानदार ग्रैंड फिनाले देखा. उसमें एक संवाद है — “कभी-कभी मुझे लगता है कि अतीत भविष्य से ज़्यादा आरामदायक जगह है.” मुझे पता है, आपको पीछे मुड़कर देखना पसंद नहीं. आप हमेशा आगे देखने वाले इंसान हैं — नए दिन, नए काम, नई चुनौती की ओर. आज भी उतने ही प्रतिस्पर्धी, बिना किसी कुर्सी पर बैठकर दर्शन झाड़े — क्योंकि ‘करना' ही आपकी जीवन-शक्ति है, वगैरह वगैरह...
लेकिन, आप आज के सिनेमा की जो हालत है, उसके ज़िम्मेदार भी हैं — इसलिए मुझे आपको थोड़ा असहज करना ही पड़ेगा.आप उस अल्ट्रा स्लो-मोशन 90 फ्रेम प्रति सेकंड वाले हीरो के जन्म के ज़िम्मेदार हैं...
हालाँकि आपने अपनी फिल्मों में शायद ही कभी स्लो मोशन में एंट्री ली हो या चले हों. मुझे तो आपका कोई 48 फ्रेम वाला शॉट भी याद नहीं, सिवाय शायद किसी एक शानदार दौड़ के — आपकी गोल्डन और प्लेटिनम जुबली हिट्स में कहीं-कहीं.(शायद इसलिए मैंने चीनी कम में आपको टाबू की ओर 48 फ्रेम में चलते हुए शूट किया — बस मज़े के लिए.)
आपको इसकी ज़रूरत ही नहीं थी.
आपके पास तो खुद में ही एक व्यक्तित्व, एक आवाज़ और वो वरदान था —
कि सबसे अजीब काम भी आप पूरी गंभीरता से कर जाते थे. विलेन आपकी आवाज़ सुनते हैं और कट टू — वे आपको देखते हैं! और लो जी... हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा सितारा, सिर्फ 24 फ्रेम प्रति सेकंड में! अब बताइए, अगली पीढ़ी या आपके दौर के ही वे लोग जिन्होंने आपकी तरह बनने की कोशिश की,
वो आपकी तरह गूँजदार कैसे बनते?
तो स्वागत है स्लो मोशन हीरोज़ का.
हर साल फ्रेम रेट बढ़ता गया — आज औसत 90 फ्रेम प्रति सेकंड और कान फाड़ देने वाला म्यूज़िक.
किसे दोष दें? आपको.
क्योंकि हीरो का जो स्तर आपने सेट किया, वही तो बेंचमार्क बन गया.
आपके पास बेहतरीन डायलॉग्स थे,
पर वही डायलॉग जब किसी और के मुँह से बोले जाते हैं — तो स्लो मो एंट्री, टर्न, डायलॉग से पहले और बाद की डिलिवरी ज़रूरी हो जाती है ताकि हीरोइज़्म का असर वैसा ही लगे. अब कृपया केबीसी से वापस आइए. हमें स्क्रीन पर फिर से कुछ 24 फ्रेम ऐक्शन चाहिए.
आपका अतीत सिर्फ हमारे लिए आरामदायक जगह नहीं है,
वो तो भविष्य के लिए प्रेरणा है.
यह भी मज़ेदार है कि एक टेक-सेवी इंडस्ट्री आज भी हर नया स्टंट आज़मा रही है — ताकि किसी ज़ूम, किसी ट्रैक,
या किसी बेवकूफी भरी बेल-बॉटम पहने हुए, ठंडे चेहरे वाले, लंबे आदमी की ताक़त को टक्कर दे सके.
जन्मदिन मुबारक हो उस शाश्वत उम्मीद को,
जिसे हर भारतीय मेगा हीरो अपने भीतर लिए चलता है —
“एक दिन हम बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों से परे जाकर... बच्चन से भी बड़े बनेंगे.”
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं