हमारी नई जनरेशन मोबाइल युग में पैदा हुई है और टीवी हमारे लिविंग रूम से बेडरूम का हिस्सा बन चुका है. टीवी पर आप तरह तरह के विज्ञापन जरूर देखते होंगे. नए जमाने के विज्ञापन तेज तर्रार और आधुनिकता से भरे हैं. लेकिन अस्सी के दशक के टीवी के विज्ञापन हमारी घरेलू दुनिया का आइना हुआ करते थे. यूं कहें कि अस्सी का दशक टीवी इंडस्ट्री के लिए एक यादगार दशक था. उस दौर के विज्ञापनों में मासूमियत और घरेलू अंदाज था. शालीनता में लिपटे ये विज्ञापन हमारे घर के अपने ही लगते थे. जो लोग अस्सी के दशक में पैदा हुए हैं वो इन विज्ञापनों की फीलिंग को समझ सकते हैं. तो चलिए एक बार फिर आपको लिए चलते हैं 80 के उस दौर में जब दूरदर्शन पर आने वाले विज्ञापन बिल्कुल अपने से लगते थे.
एड की दुनिया में घर- संसार
उस दौर के विज्ञापनों के हर मोमेंट से आप खुद को रिलेट कर सकते हैं. दुल्हन की विदाई होगी तो उसे क्या तोहफा मिलेगा. छुट्टी के दिन पिता और बेटा एक साथ खेल रहे हैं तो फिर आगे दिन कैसे इंजॉय करेंगे. हर विज्ञापन में परिवार और अपनेपन की झलक हुआ करती थी. साबुन के एड भी ऐसे हुआ करते थे जिसे देखते हुए नजरें चुराने की जरूरत नहीं पड़ती थी. ये सारे विज्ञापन फैमिली शो का परफेक्ट एग्जाम्पल हैं. फैमिली शो यानी एक ऐसा शो जिसे घर में माता पिता, पति पत्नी और बच्चे साथ में बैठकर देख सकें. किसी को भी चैनल चेंज करने या नजरें फेरने की जरूरत ही न पड़े. ऐसे ही विज्ञापन से भरपूर है यूट्यूब पर वायरल हो रही अस्सी के दशक की एड फिल्मों का ये वीडियो.
ऐसे होते थे साबुन-पाउडर के ऐड
इन एड्स में न सिर्फ परिवार के इमोशन्स भरपूर होते थे बल्कि हल्की फुल्की और चेहरे पर मुस्कान ले आते थे. आज के दौर में जब साबुन का एड बनता है तो बाथ टब में बैठकर नहाती हसीना से लेकर स्विमिंग पूल में टू पीस पहन कर उतरी हुई मॉडल्स तक नजर आती है. जबकि उस दौर में साबुन और पाउडर के एड भी सलीके से ही बनते थे. पाउडर के एड में मुनमुन सेन इसी तरह पूरे ग्रेस में दिख रही हैं. एक साबुन के एड में मॉडल चेहरे पर साबुन लगाती दिखाई दे रही है. इस तरह फैमिली इमोशन्स का ध्यान रखते हुए ये विज्ञापन क्रिएट होते थे.
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