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धर्मेंद्र की ये ब्लॉकबस्टर फिल्म फिर से हो रही है रिलीज, 50 साल पहले कई दिनों तक रही थी सिनेमाघरों में हाउसफुल

दिग्ग्ज एक्टर धर्मेंद्र ने 24 नवंबर को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उन्होंने अपनी एक्टिंग से हिंदी सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी थी. धर्मेंद्र ने मेरा गांव मेरा देश, आन मिलो सजना, धरम-वीर और शोले जैसी कई हिट फिल्में से दर्शकों के दिलों को जीता था.

धर्मेंद्र की ये ब्लॉकबस्टर फिल्म फिर से हो रही है रिलीज, 50 साल पहले कई दिनों तक रही थी सिनेमाघरों में हाउसफुल
धर्मेंद्र की ये ब्लॉकबस्टर फिल्म फिर से हो रही है रिलीज
नई दिल्ली:

दिग्ग्ज एक्टर धर्मेंद्र ने 24 नवंबर को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उन्होंने अपनी एक्टिंग से हिंदी सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी थी. धर्मेंद्र ने मेरा गांव मेरा देश, आन मिलो सजना, धरम-वीर, जीवन-मृत्यु और शोले जैसी कई हिट फिल्में से दर्शकों के दिलों को जीता था. धर्मेंद्र का जन्मदिन 8 दिसंबर को होता है. अगर वह जिंदा होते तो इस साल अपनी 90वां बर्थडे मनाते. धर्मेंद्र के जन्मदिन के बाद सिनेमाघरों में उनकी 50 साल पुरानी फिल्म फिर से रिलीज होने वाली है. उनकी इस फिल्म ने साल 1975 में पूरे देश में बंपर कमाई की थी. सिनेमाघर में कई दिनों तक हाउसफुल रही थी.

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धर्मेंद्र के कौन सी फिल्म हो रही है री रिलीज

जी हां, हम बात कर रहे हैं धर्मेंद्र के फिल्म शोले की. रमेश सिप्पी की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले' को इस साल 50 साल पूरे हो रहे हैं. इस खुशी में फिल्म को एक बार फिर सिनेमाघरों में रिलीज किया जा रहा है. 12 दिसंबर 2025 से पूरे देश के करीब 1500 थिएटरों में ‘शोले - द फाइनल कट' नाम की पूरी तरह रिस्टोर की गई 4K वर्जन दिखाई जाएगी. सबसे खास बात यह है कि इस बार फिल्म का असली वाला क्लाइमेक्स दिखेगा, जो 1975 में इमरजेंसी के समय सेंसर बोर्ड के दबाव में बदल दिया गया था.

शोले में क्या होना नया

मशहूर राइटर सलीम-जावेद (सलीम खान और जावेद अख्तर) ने मूल कहानी में ठाकुर (संजीव कुमार) को गब्बर सिंह को अपने नंगे पैरों से कुचलकर मारने का सीन लिखा था. ठाकुर का पूरा बदला इसी पर टिका था क्योंकि गब्बर ने उसके परिवार को मारा और दोनों हाथ काट दिए थे. फरहान अख्तर ने हाल ही में बताया कि असली क्लाइमेक्स में ठाकुर गब्बर को मारने के बाद रोता भी है. लेकिन इमरजेंसी के दौरान सरकार नहीं चाहती थी कि हीरो खुद कानून हाथ में ले, इसलिए आखिरी सीन में पुलिस आकर गब्बर को गिरफ्तार कर लेती है. सलीम-जावेद को यह बदलाव बिल्कुल पसंद नहीं आया था. उन्होंने मजाक में कहा था कि अब तो गांव वाले, पुलिस, जय-वीरू सब आ गए, बस डाकिया बाकी रह गया!

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