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Auron Mein Kaha Dum Tha Review: रिलीज हुई अजय देवगन और तब्बू की फिल्म, जानें कैसी है औरों में कहां दम था

लव स्टोरीज की कहानी का धागा लगभग एक जैसा ही होता है मायने ये रखता है किे आपके किरदार कितने अलग है और कहानी के ट्विस्ट एंड टर्न्स कितने नये हैं या कहे अलग हैं उन फिल्मों से जो आपने पहले देखी हैं

Auron Mein Kaha Dum Tha Review: रिलीज हुई अजय देवगन और तब्बू की फिल्म, जानें कैसी है औरों में कहां दम था
औरों में कहां दम था रिव्यू
नई दिल्ली:

निर्देशन, कहानी, स्क्रीनप्ले - नीरज पांडे.
कलाकार - अजय देवगन , तब्बू , जिमी शेरगिल, सई मांजरेकर, शान्तनु माहेश्वरी, जय उपाध्याय और सायाजी शिंदे.
संगीत - एमएम किरावनी
स्टार्स- 2.5 

कहानी - फिल्म की कहानी 2001 में शुरू होती है जहां कृष्णा  ( शान्तनु माहेश्वरी और वसुधा ( सई मांजरेकर ) एक ही चॉल में रहते हैं और उन्हें एक दूसरे से प्यार हो जाता है . कृष्णा हार्डवेयर कंप्यूटर इंजीनियर है और उसे जर्मनी जाने का मौका मिलता है पर उससे ठीक एक दिन पहले कृष्ण के हाथ से दो लोगों की हत्या हो जाती है और उसे 25 साल की सज़ा हो जाती है . कृष्णा का वयस्क होने पर किरदार निभाया है अजय देवगन ने और वयस्क वसुधा का तब्बू ने . कृष्णा के अच्छे व्यवहार की वजह से उससे जल्दी छोड़ने का फैसला लिया जाता है पर कृष्णा जेल से बाहर नहीं निकालना चाहता क्योंकि बाहर की दुनिया में उसका कोई नहीं है और वसुधा की भी शादी हो चुकी है. ट्रेलर में देखकर इस कहानी का अंदाजा दर्शक लगा सकते हैं , और यहां तक भी ट्रेलर में दिखाया गया है कि जेल से निकलने के बाद कृष्णा से वसुधा मिलती है और वसुधा के   पति अभिजीत( जिमी शेरगिल ) से भी कृष्णा मिलते हैं और अभिजीत कृष्णा से सवाल पूछते हैं कि उस रात हुआ क्या था यानी जिस रात कृष्णा के हाथों हत्या हुई उस रात क्या हुआ था? इस सवाल का जवाब आपको सिनेमाघरों में मिलेगा.

कुछ बातें -लव स्टोरीज की कहानी का धागा लगभग एक जैसा ही होता है मायने ये रखता है किे आपके किरदार कितने अलग है और कहानी के ट्विस्ट एंड टर्न्स कितने नये हैं या कहे अलग हैं उन फिल्मों से जो आपने पहले देखी हैं, ये फिल्म यहीं मात खाती है . 

खामियां 
1. फिल्म की कहानी में नयापन नहीं है . ऐसी कहानी पहले देखी गयीं है चाहे उन्हें अलग अलग फिल्मों में ही क्यों ना देखा हो. आप ये कह सकते हैं कि इस फिल्म की कहानी का सफर लंबा है पर अगर टुकड़ों में देखें तो जवान कृष्णा और वसु की कहानी और व्यस्क कृष्णा और वसु की कहानी कई अलग-अलग फिल्मों देखी गई है.

2. फिल्म की स्क्रिप्ट में किरदार बहुत अहमियत रखते हैं कि वो उन किरदारों से कितने अलग हैं जो आपने पहले देखें हैं पर यहां कृष्णा और वसु के किरदारों में भी नयापन नहीं है.

3. ये लव स्टोरी महसूस नहीं होती, दिल में नहीं उतरती .

4. कुछ दृश्य फिल्म में कई बार दोहराए गये हैं एक वक़्त के बाद वो दर्शक पे भारी पड़ने लगते हैं .

5. मध्यांतर से पहले और बाद में फ़िल्म कई जगह थोड़ी खींचती नजर आती है खासतौर पर गानों के वक़्त .

खूबियां 
1. ये आराम से धीरज के साथ देखने वाली फ़िल्म है जो आजकल कम नज़र आतीं हैं , फिल्म में इमोशंस ज़्यादा और डायलॉगबाजी कम है जो एक राहत की बात है .

2. फिल्म में अजय देवगन और तब्बू जैसे कलाकार हैं जिनकी एक फैन फॉलोइंग भी है और इनका काम भी ठीक है.

3. सबसे अच्छा अभिनय मुझे शान्तनु माहेश्वरी का लगा, उनके अभिनय में एफर्ट नज़र नहीं आता और बहुत सादग़ी से अभिनय करते हैं और साथ ही बड़ी सहज डायलॉग डिलीवरी है .

4. गानों को अगर अलग से सुनें तो ये अच्छे अच्छे हैं , एमएम किरावानी की धुनों में मेलोडी है .

5. फिल्म को फ्लैश बैक और आज के वक़्त को बड़ी ख़ूबसूरती से मिक्स किया गया है एडिटिंग हो या स्क्रीनप्ले ये आपको झटका नहीं देते .

6. फिल्म में एक सहज मज़ाहियापन भी है जो आपको कई जगह हंसाता है यानी सटल ह्यूमर .

तो अगर आप दौड़ते सिनेमा के आदि नहीं है और लव स्टोरी देखना चाहते हैं जैसी गुज़रे दशकों में आपने देखीं हैं तो आप इसे देख सकते हैं . नीरज पांडे ने कहा था की लव स्टोरी बनाने में उन्हें काफी देरी हुई, उनकी ये बात सही है ये कहानी बहुत पहले आने चाहिए थी और आज इसका आना मैं ग़लत वक़्त ही कहूंगा यानी रॉंग टाइमिंग.

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