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April May 99: गर्मियों की छुट्टियों के रंग दिखाती है ये फिल्म, ताजा हो जाएंगी पुरानी यादें

इस फिल्म में कहानी कृष्णा, प्रसाद, सिद्धेश और जाई नाम के चार दोस्तों के बचपन और गर्मियों की छुट्टियों की है. अच्छी अंग्रेजी बोलने वाली जाई से अंग्रेजी सीखने के लिए ये तीनों लड़के उससे दोस्ती करते हैं.

April May 99: गर्मियों की छुट्टियों के रंग दिखाती है ये फिल्म, ताजा हो जाएंगी पुरानी यादें
गर्मियों की छुट्टियों की याद दिलाती हैं ये फिल्म
नई दिल्ली:

90 के दशक के गाने, फिल्में, लाइफस्टाइल और वह पूरा दौर जिसे हम अक्सर गोल्डन एरा कहते हैं. 90 के दशक की पीढ़ी को सबसे भाग्यशाली माना जाता है और उन्हें आज के बदलते समय के गवाह के रूप में देखा जाता है. इसी सुनहरे दौर का मजा, मस्ती और अनुभव दिखाती है फिल्म "एप्रिल मे 99". मई में आई इस मराठी फिल्म ने दर्शकों को पूरी तरह से दीवाना बना दिया है. खास बात यह है कि दोस्ती का अनोखा पाठ पढ़ाने वाली इस मराठी फिल्म के निर्माता (Producer) जोगेश भुतानी (Jogesh Bhutani) हिंदी भाषी हैं. आखिर क्या है इस फिल्म की अनोखी कहानी? इसी बारे में जोगेश भुतानी ने एनडीटीवी (NDTV) से बात की, जिसमें उन्होंने इस फिल्म की मनमोहक कहानी के बारे में बताया.

​बचपन के दिन और गर्मियों की छुट्टियों की प्यारी कहानी!

​बचपन में अप्रैल-मई में जब स्कूल की छुट्टियां होती थीं तो हमें मामा के गांव जाने की उत्सुकता रहती थी. मामा के गांव में की गई मस्ती, धूम-धड़ाका और नए दोस्तों के साथ बिताए गए अविस्मरणीय पल हर किसी को याद होंगे. इन्हीं गर्मियों की छुट्टियों और बचपन की प्यारी दोस्ती की याद दिलाने वाली फिल्म है 'एप्रिल मे 99'. बचपन की यादें ताज़ा करने वाली, दोबारा उस सुनहरे दौर में ले जाने वाली और भरपूर खुशी देने वाली यह फिल्म 16 मई को रिलीज हुई थी.

​चार दोस्तों की दोस्ती और गांव की बातें!

​यह कहानी कृष्णा, प्रसाद, सिद्धेश और जाई नाम के चार दोस्तों के बचपन और गर्मियों की छुट्टियों की है. अच्छी अंग्रेजी बोलने वाली जाई से अंग्रेजी सीखने के लिए ये तीनों लड़के उससे दोस्ती करते हैं. उनके माता-पिता भी उनसे कहते हैं, 'तुम जाई को अपना गांव दिखाओ, और इसी बहाने तुम उससे अंग्रेजी सीख पाओगे'. कृष्णा, प्रसाद और सिद्धेश की दोस्ती में जाई के आने से उनकी टोली तीन से चार दोस्तों की बन जाती है. यहीं से इस ग्रुप की खूबसूरत कहानी शुरू होती है. इस फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है कि दर्शक अपनी ही बचपन की यादों में खो जाते हैं.

​जोगेश भुतानी ने क्या कहा?

​जोगेश भुतानी ने कहा, "मुझे इस फिल्म की कहानी बहुत पसंद आई और मैंने इसे बनाने का फैसला किया." आज के इंटरनेट के युग में यह फिल्म आपको अपने बचपन को फिर से याद करने पर मजबूर करती है. उन्होंने कहा, "मैं भी ऐसी ही बचपन की यादों में रहा हूं. यह फिल्म दिखाती है कि आज के मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में अपने दोस्तों और इन खूबसूरत यादों को सहेजना कितना जरूरी है. इसलिए यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए."

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