साउथ की ब्लॉकबस्टर फिल्म केजीएफ को बनाने वाली होम्बले फिल्म्स की नई फिल्म 'कांतारा' कन्नड़ की जबरदस्त एक्शन थ्रिलर फिल्मों में से एक बन गई है. फिल्म न सिर्फ कन्नड़ में कमाई के कई रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रही है, वहीं हिदी में रिलीज के बाद भी यह अब तक अच्छी कमाई कर चुकी है. कमाई के मामले में फिल्म कन्नड़ की टॉप फिल्मों की लिस्ट में शामिल हो गई है. फिल्म में ऋषभ शेट्टी, किशोर और अच्युत कुमार अपनी शानदार एक्टिंग से कहानी में जान डाल देते हैं. अभिनेताओं के शानदार काम के अलावा फिल्म का देसीपन कुछ ऐसी बात है जो इसे देखने लायक बनाता है. आज हम आपको इस फिल्म से जुड़ी ऐसी खास बातें बता रहे हैं जो न ही सिर्फ इस फिल्म की यूएसपी हैं, बल्कि इस फिल्म को देखने के लिए पांच बड़े कारण हैं, साथ ही इसकीसफलता की वजह भी हैं.
देसीपन वाली दिलचस्प बैक स्टोरी
कांतारा की कहानी 1847 में शुरू होती है, जब तटीय कर्नाटक के एक गांव के राजा ने खुशी और शांति के लिए स्थानीय देवता, पंजुरी की मूर्ति के बदले ग्रामीणों को जमीन का हिस्सा दान कर दिया. हालांकि उन्हें चेतावनी दी गई थी कि अगर राजा कभी इस भूमि को वापस मांगता है, तो देवता उसे माफ नहीं करेंगे. इसके बाद 1970 के दशक में, राजा का एक वंशज जमीन वापस लेना चाहता है. भूत कोला (एक स्थानीय पूजा) के वार्षिक अनुष्ठान के दौरान, राजा का वंशज देवता के पास एक लोकल डांसर से मिलता है और उससे जमीन मांगता है. उसकी गुंडागर्दी से गुस्सा होकर देवता डांसर के शरीर में प्रवेश करते हैं और कुछ दिनों के बाद, राजा के वंशज की रहस्यमय तरीके से मौत हो जाती है.
अतीत से वर्तमान की मुलाकात
फिल्म में साल 1990 की कहानी दिखाई जाती है और जिसमें राजा के एक अन्य वंशज, स्थानीय जमींदार देवेंद्र सुत्तूर (अच्युत कुमार) की नजर उस जमीन पर होती है, गांव के रखवाले के रूप में, शिव (ऋषभ शेट्टी) के पास जमीन को बचाने का काम है. एक नए वन अधिकारी, मुरलीधर (किशोर द्वारा अभिनीत) की एंट्री होती है, जो इस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को रोकना चाहता है. शिव की प्रेमिका, लीला (सप्तमी गौड़ा), एक वन रक्षक है और मुरलीधर की टीम का हिस्सा है.
जबरदस्त डांस और एक्शन
कांतारा में आपको रोमांचक और शानदार एक्शन सीन्स देखने को मिलते हैं. स्लो-मो बुल रेस सीक्वेंस, खून-खराबे से भरा एक्शन और इसके साथ क्लासिकल डांस कॉम्बिनेशन नजर आता है.
जमीन से जुड़ी फिल्म
फिल्म की कहानी कुछ इस तरह की है जो आम सिनेमा में देखने को नहीं मिलती है. इन दिनों सिनेमा में जहां सिर्फ शहरी जीवन हावी हो कर रह गया है, वहीं इस फिल्म में कहां को समय काल में दिखाया गया है और लोक परंपराओं का भी शानदार चित्रण किया गया है.
दमदार अभिनय
शिव के रूप में ऋषभ शेट्टी एक ऐसे शख्स के रूप में कमाल का प्रदर्शन करते नजर आते हैं जो अपने गांव की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. वह मनमौजी इंसान है, जो दोस्तों के साथ घूमता है, मजा मस्ती करता है, लेकिन अगर कोई अपने लोगों पर उंगली उठाने की हिम्मत करता है, तो वह आक्रामक हो जाता है. मुरलीधर के रूप में किशोर, एक ईमानदार सरकारी अधिकारी है, जो अपने कर्तव्य के लिए प्रतिबद्ध है. किशोर इस भूमिका को बेहतरीन ढंग से निभाते हैं. अच्युत कुमार जातिवादी और लालची जमींदार के रूप में सभी का ध्यान खींचते हैं.
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