2021 की साल में भारत की लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं और विधान परिषदों में जिन-जिन शब्दों को कार्रवाही से हटाया गया है, उन शब्दों की सूची प्रकाशित हुई है. संसदीय कार्यवाही में शब्दों को हटाने का अधिकार स्पीकर का होता है. सवाल यहां अधिकार या नियम का नहीं है. विपक्ष की तरफ से बहस उन शब्दों को लेकर हो रही है, जिन्हें पिछले साल असंसदीय मान कर हटाया गया था.