आज सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसए बोबड़े ने लगभग इसी जज़्बात की बात की. कहा कि अतीत में जो कुछ हुआ, उसे हम बदल नहीं सकत, लेकिन ये कोशिश कर सकते हैं कि रिश्तों के ज़ख़्म भर पाएं. काश कि अयोध्या के राम मंदिर विवाद को लेकर दूसरे लोग भी कुछ इसी उदारता से सोच पाते. तब शायद आज तक इस मसले पर हमें चर्चा करने की ज़रूरत न पड़ती. बहरहाल, अयोध्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. और सुप्रीम कोर्ट के सामने फिलहाल ये मामला है कि क्या इस मुद्दे का हल आपसी बातचीत, समझौते या मध्यस्थता से हो सकता है? आज इस मसले पर सुनवाई हुई, अदालत में कई सवाल उठे- अदालत ने अलग-अलग पक्षों से मध्यस्थों के नाम मांगे और फ़ैसला सुरक्षित रख लिया. मुश्किल ये है कि जो लोग राम मंदिर को आस्था का मामला बता कर पहले अदालती फ़ैसले पर एतराज़ करते लग रहे थे, वही मध्यस्थता के ख़िलाफ़ भी दिख रहे हैं.