पूरी दुनिया में झूठ एक नई चुनौती बनकर उभरा है. झूठ की दीवार हमारे आस पास बड़ी होती जा रही है और चौड़ी भी होती जा रही है. झूठ की इस दीवार को भेदना आसान नहीं है. व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज़रिए रोज़ना कई प्रकार के झूठ फैलाए जा रहे हैं. धर्म, देश, रंग, जाति, व्यक्ति, योजना से लेकर इतिहास तक पर झूठ की परत जमी दी गई है. अब तो आलम यह है कि कहीं चुनाव होता है तो इस झूठ को पकड़ने के लिए नागरिकों, पत्रकारों का समूह सक्रिय हो जाता है. फिर भी राजनीतिक दलों ने झूठ को फैलाने का तंत्र इतना बड़ा कर लिया है कि यह तभी चेक होगा जब मुख्यधारा का मीडिया इसे एक्सपोज़ करेगा. मगर मुख्यधारा का मीडिया खासकर भारत में, ऐसा नहीं कर पाता है. बल्कि वह भी झूठ के इस तंत्र को बड़ा कर रहा है.