क्या किराया दिए बिना भागे किरायेदार को RTI से ढूंढा जा सकता है...?

ऐसे ही एक विवाद में वी. वेंकटपति नामक मकानमालिक ने अपने ऐसे किरायेदार के नए पते के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की थी, जो किराया चुकाए बिना चला गया था.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
किराया चुकाए बिना मकान छोड़कर चले गए किरायेदार का पता जानने के लिए दाखिल की गई RTI, लेकिन...
नई दिल्ली:

जब कोई शख्स अपना मकान या दुकान किसी शख्स को किराये पर देता है, तो आमतौर पर दोनों के बीच एक एग्रीमेंट पर दस्तखत किए जाते हैं, जिसमें संपत्ति और किराये से जुड़ी शर्तें व नियम दर्ज होते हैं. अगर कोई किरायेदार मासिक किराया अदा करने से इंकार कर देता है, या किराया चुकाने में नाकाम रहता है, तो मकान मालिक उसे संपत्ति से निकाले जाने का अनुरोध करने के लिए अदालत की शरण में जा सकता है. इस तरह के विवाद कापी आम हैं, और अदालतों में बहुत-से से ऐसे केस पहुंचते ही रहते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं, अगर मकानमालिक को किराया चुकाए बिना कोई किरायेदार संपत्ति छोड़कर चला जाता है, तो क्या किया जा सकता है...?

क्या ऐसा कोई तरीका है, जिससे मकानमालिक गायब हो चुके अपने किरायेदार का मौजूदा पता जान सके, और उससे बकाया किराया वसूल कर सके...?

Advertisement

केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission या CIC) के एक हालिया फैसले ने इस मुद्दे पर काफी सवालों के जवाब दिए हैं.

Advertisement

ऐसे ही एक विवाद में वी. वेंकटपति नामक मकानमालिक ने अपने ऐसे किरायेदार के नए पते के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की थी, जो किराया चुकाए बिना चला गया था.

Advertisement

'द फाइनेंशियल एक्सप्रेस' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मकानमालिक ने तमिलनाडु में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (CPIO) के समक्ष सूचना के अधिकार (RTI) का आवेदन पेश किया, ताकि किरायेदार का मौजूदा पता जान सके.

Advertisement

मकानमालिक का दावा था कि LIC स्टार एजेंट के तौर पर काम करने वाला किरायेदार कोई भी सूचना दिए बिना मकान छोड़कर चला गया है, और बकाया भी नहीं चुकाया है. अख़बार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, CPIO ने RTI एक्ट 2005 की धारा 8 (1) (जे) का हवाला देते हुए मकानमालिक की अर्ज़ी को खारिज कर दिया.

RTI एक्ट 2005 की धारा 8 (1) (जे) के मुताबिक, "निजी जानकारी से जुड़ी कोई सूचना, जिसे उजागर किए जाने का किसी सार्वजनिक कृत्य या हित से कोई रिश्ता न हो, अथवा किसी शख्स की निजता का अवांछित हनन होता हो, जब तक विवाद के हिसाब से केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी या राज्य सार्वजनिक सूचना अधिकारी या अपील प्राधिकरण इस बात से संतुष्ट न हों कि इस तरह की सूचना को उजागर किया जाना सार्वजनिक हित से जुड़ा है..."

मकानमालिक ने इसके बाद फर्स्ट अपेलेट अथॉरिटी (First Appellate Authority या FAA) पहुंचकर 23 नवंबर, 2020 को एक नई अर्ज़ी दाखिल की, लेकिन FAA ने भी अपील को खारिज कर दिया और CPIO के आदेश को बरकरार रखा.

रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद मकानमालिक ने CIC के समक्ष दूसरी अपील दाखिल की, और बताया कि मांगी गई जानकारी उसे नहीं दी गई. फिर CIC ने 3 अक्टूबर, 2022 के अपने आदेश में कहा कि चूंकि यह विवाद किराया नहीं चुकाने से जुड़ा है, इसलिए इस मसले को RTI एक्ट के तहत नहीं सुलझाया जा सकता.

CIC ने भी CPIO के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि किरायेदार के मौजूदा पते को उजागर नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह निजी जानकारी के तहत आता है.

--- ये भी पढ़ें ---
* PF सब्सक्राइबर 11 फीसदी घटे अगस्त में : सांख्यिकी मंत्रालय
* दीवाली पर मिले किस-किस तोहफे पर देना होगा इनकम टैक्स, जानें
* कैसे पाएं सस्ता होम लोन, जबकि बैंकों ने बढ़ा दी हैं ब्याज़ दरें
* नरेंद्र मोदी काल में डॉलर के मुकाबले 42% गिर चुका है रुपया

VIDEO: "करेंसी नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीरें...", दिल्ली CM पर बरसी BJP

Featured Video Of The Day
IND vs AUS: Champions Trophy के Semi-Final में Kohli-Shami का जलवा, ट्रॉफी से एक कदम दूर Team India
Topics mentioned in this article