भारतीय रुपया नित नए रसातल में गिर रहा है, और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने की ख़बरें आएदिन छप रही हैं. दरअसल, रुपये की कीमत में गिरावट कोई नई बात नहीं है, और यह आज़ादी के बाद से काफी गिर चुका है, लेकिन उसके बहुत-से कारण रहे हैं. फिर भी जब 2014 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सत्ता में आया था, तब से लेकर भी रुपये में अब तक लगभग 42 फीसदी गिरावट आ चुकी है, जो काफी ज़्यादा है.
जिस दिन PM नरेंद्र मोदी ने पहली बार शपथग्रहण की थी, उस दिन यानी 26 मई, 2014 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आर्काइव के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया 58.58 के स्तर पर बंद हुआ था, और आज यानी 20 अक्टूबर, 2022 को कारोबार के दौरान रुपया 83.12 के स्तर तक पहुंच गया, जो 41.89 फीसदी ज़्यादा है. यही नहीं, 3 मई, 2004 को भी अमेरिकी डॉलर का भाव 44.97 रुपये था, और अगले 10 साल में (58.58 पहुंचने तक) इसमें 30.26 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.
अब पिछले आठ साल में रुपये आई गिरावट ऐतिहासिक है, और यह मोदी काल में लगभग 42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83 रुपये का स्तर पार कर चुका है. विदेशी मुद्रा कारोबार के दौरान बुधवार को भी रुपये ने अमेरिकी डॉलर की तुलना में 83 का स्तर पार कर लिया था, लेकिन बंद यह 82.37 पर हुआ था. लेकिन गुरुवार को एक बार फिर यह कारोबार के दौरान 83 रुपये का स्तर पार कर सबसे निचले स्तर 83.12 तक पहुंच गया है.
गौरतलब है कि इसी साल 2 मई, 2022 को रुपये की कीमत 76.43 रुपये थी, और इस स्तर पर रुपया अप्रैल से ही बना हुआ था. 2 जून, 2022 तक इसमें लगभग डेढ़ फीसदी की गिरावट आई, और यह 77.58 पर पहुंच गया. इसके बाद 1 जुलाई, 2022 तक इसमें जून के मुकाबले 1.95 फीसदी की गिरावट आई, और यह 79.09 पर पहुंच गया. अगस्त तक आते-आते यह गिरावट कुछ थमी, और पूरे माह में सिर्फ 0.08 फीसदी की गिरावट के साथ 1 अगस्त, 2022 को रुपया 79.16 के स्तर पर पहुंचा.
इसके बाद 1 सितंबर, 2022 को यह 79.39 पर पहुंच चुका था, और इसमें पिछले एक माह के दौरान कुल 0.29 फीसदी गिरावट दर्ज हुई. 3 अक्टूबर, 2022 तक इसमें एक बार फिर 2.96 फीसदी की गिरावट आई, और यह 81.74 के स्तर पर बंद हुआ. अब पिछले 19 दिन में इसमें 1.68 फीसदी की गिरावट आ चुकी है, और यह अपने सबसे निचले स्तर 83.12 पर कारोबार कर रहा है.
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