Blogs | क्रांति संभव |गुरुवार मार्च 2, 2017 10:04 AM IST डियर तो लिख नहीं सकते, क्योंकि डियर बोलने पर मंत्री जी ने दूसरे नेता की भावनाओं को ऐसा थकूच दिया कि डियर पार्क से भी छिटका-छिटका रहता हूं... प्रिय भी नहीं लिख सकता, क्योंकि मुझे शक है कि मेरी स्वच्छंदता से जलने वाले मेरे मित्र इस चिट्ठी का प्रिंटआउट मेरी पत्नी तक पहुंचा सकते हैं और रही बात आदरणीय की, तो वह सिर्फ हमारी स्कूल प्रिंसिपल रही हैं...