Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार दिसम्बर 2, 2016 09:38 PM IST आख़िर टैगोर के लिए राष्ट्रवाद क्यों ग्लास जितनी सस्ती है, जिसे वो मानवतावाद के बेशकीमती हीरे से नहीं ख़रीदना चाहते हैं. 1916 और 1917 के साल टैगोर जापान और अमेरिका जाकर राष्ट्रवाद पर लेक्चर दे रहे थे. 55 साल की उम्र थी तब. 1913 में ही नोबेल पुरस्कार मिल चुका था. 1908 से 1917 के बीच राष्ट्रवाद को लेकर टैगौर लगातार सोच रहे थे.