India | Reported by: भाषा |शनिवार नवम्बर 20, 2021 07:40 PM IST केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने बलात्कार के मामले (Rape Case) में दोषी करार दिए गए एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर विचार करते हुए कहा कि अपरिहार्य मजबूरी के सामने बेबसी को सहमति नहीं माना जा सकता है. न्यायमूर्ति आर नारायण पिशारदी ने अपने आदेश में कहा कि केवल इसलिए कि पीड़िता आरोपी से प्यार करती थी, यह नहीं माना जा सकता कि उसने संबंध बनाने के लिए सहमति दी थी. अदालत ने 31 तारीख के अपने आदेश में कहा, ‘‘कानून के परिप्रेक्ष्य में अपरिहार्य मजबूरी के सामने बेबसी को सहमति नहीं माना जा सकता. सहमति के लिए किसी कृत्य के बारे में और इसके नैतिक प्रभाव का बोध होना आवश्यक है. केवल इस वजह से कि पीड़िता आरोपी से प्यार करती थी, यह नहीं कहा जा सकता कि उसने शारीरिक संबंध के लिए सहमति दी थी.’’