Blogs | सुधीर जैन |मंगलवार मार्च 20, 2018 01:52 PM IST दुनिया की हर राजनीतिक व्यवस्था का एक ही लक्ष्य होता है कि उसकी जनता या प्रजा की खुशहाली बढ़े या बदहाली कम हो. लोकतांत्रिक व्यवस्था तो इसी मकसद से ईजाद हुई थी कि उसके सभी नागरिकों की खुशहाली सुनिश्चित हो सके. हर सरकार बदहाली कम करने का नारा लेकर आती है. मौजूदा सरकार इस मामले में कुछ अलग नारा लेकर आई थी, अच्छे दिन या खुशहाली ला देने का नारा. हालांकि, खुशहाली का मापने का विश्वसनीय पैमाना किसी ने नहीं बना पाया. इसीलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र ने पूरी दुनिया के अलग अलग देशों में खुशहाली को आंकना शुरू किया. छह साल से संयुक्त राष्ट्र हर साल इस तरह का आकलन करवा रहा है और बाकायदा एक सूचकांक के जरिए एक रिपोर्ट बनती है जो यह बताती है कि किस देश में खुशहाली का क्या स्तर है. इस साल का यह विश्व खुशहाली सूचकांक दो दिन पहले ही जारी हुआ है. चौंकाने और बुरी तरह से झकझोर देने वाली बात यह है कि दुनिया कि 156 देशों में हमारे देश की खुशहाली का नंबर 133वां आया है. यानी औसत से बहुत ही नीचे. पिछले साल से भी 11 नंबर नीचे. इस विश्व रिपोर्ट ने हमें डेढ़ सौ देशों के बीच सबसे बदहाल 25 देशों के संग बैठा दिया है.