'Blog of Modi'

- 120 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • India | Written by: विजय शंकर पांडेय |शुक्रवार दिसम्बर 30, 2022 03:10 PM IST
    मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी. ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है. आज जब मैं अपनी मां के बारे में लिख रहा हूं, तो पढ़ते हुए आपको भी ये लग सकता है कि अरे, मेरी मां भी तो ऐसी ही हैं...
  • Blogs | रवीश कुमार |बुधवार दिसम्बर 1, 2021 11:44 PM IST
    कितने किसान मरे हैं, केंद्र सरकार को नहीं पता. संसद में इस सवाल पर दिए गए सरकार के जवाब बताते हैं कि सरकार नहीं जानने पर अड़ जाए तो उसे कोई नहीं बता सकता है. आखिर सरकार क्यों नहीं बता रही है कि किसान आंदोलन के दौरान कितनने किसानों की मौत हुई है.
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार नवम्बर 30, 2021 11:48 PM IST
    पिछले पांच साल में छह लाख भारतीयों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है और घुसपैठियों को निकालने के लिए नागरिकता कानून के नियम दो साल हो गए, अभी तक नहीं बने हैं. 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता कानून पास हुआ था.
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार नवम्बर 23, 2021 10:32 PM IST
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की आधारशिला रखने वाले हैं. इस प्रोजेक्ट को लेकर एक तरफ बड़े बड़े सपने दिखाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ इसके लिए जिनके घर उजड़े हैं वो फिलहाल ऐसे हर सपने से खुद को दूर पा रहे हैं.
  • Blogs | रवीश कुमार |सोमवार नवम्बर 22, 2021 10:49 PM IST
    भारत में कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद श्रीलंका के किसानों को भी एक बड़ी जीत मिली है. पिछले साल जुलाई में वहां की सरकार ने अचानक फैसला लिया कि रसायनिक खेती नहीं होगी. श्रीलंका सौ फीसदी आर्गेनिक खेती वाला देश बनेगा. इसी के साथ रसायनिक खाद से लेकर दवा के आयात और बिक्री पर रोक लगा दी गई. नीयत के हिसाब से देखिए तो इस फैसले में अच्छाई ही अच्छाई है लेकिन कई साल से रासायनिक खेती को बढ़ावा देने वाली सरकार रातों रात अगर अच्छी नीयत अपना ले तो संदेह गहरा हो जाता है.
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार नवम्बर 16, 2021 10:40 PM IST
    रन-वे के दौर में रोड-वेज़ की बात. दास्सों कंपनी के जहाज़ों के सामने डिपो की वीरता का बखान बेहद ज़रूरी है. सर्वप्रथम डिपो की परिभाषा. डिपो उस एयरपोर्ट को कहते हैं जहां पर ज़मीन पर उड़नेवाली वाली बसें निकलती हैं और वापस आती हैं. यहां पर हर दिन लाखों यात्री बस से उतरते हैं, बस में चढ़ते हैं. बड़े बड़े एयरपोर्ट बिक गए लेकिन डिपो नहीं बिका है.
  • Blogs | रवीश कुमार |बुधवार अक्टूबर 6, 2021 01:18 AM IST
    28 सेकेंड का यह वीडियो है. एक सेकेंड के वीडियो में 24 से 30 फ्रेम होते हैं. 840 फ्रेम. 28 सेकेंड के इस वीडियो के एक एक फ्रेम में क्रूरता और मंत्री के झूठ की ऐसी गवाहियां हैं कि इस 28 सेकेंड का पूरा ब्यौरा बताने के लिए 28 घंटे भी कम पड़ जाएं. सोमवार रात दुनिया भर में व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक के बाद भी अकेले ट्विटर से यह वीडियो इतना वायरल हो गया कि लखीमपुर खीरी के किसानों की हत्या को लेकर फैलाया गया झूठ का शामियाना उजड़ गया. वह वीडियो उस जीप की कहानी का सच लेकर आ गया है जिसने शांति से लौट रहे किसानों को पीछे से कुचल दिया. लेकिन यह वीडियो केवल यह बताने नहीं आया कि किसानों को जीप ने कैसे कुचला, बल्कि यह बताने आया है कि थार जीप और गोदी मीडिया में कोई अंतर नहीं है. जिस तरह से जीप ने किसानों को कुचल दिया उसी तरह गोदी मीडिया हर दिन लोगों को कुचल रहा है. गोदी मीडिया के एंकरों और चैनलों ने आपको नज़रबंद कर लिया है. यह वीडियो नहीं आता तो आपके मन में एक संदेह सच का रूप ले चुका होता कि किसान ही उपद्रवी हैं. और इस तरह से किसानों की हत्या करने वाले आपकी निगाहों में संत हो जाते. 
  • Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार सितम्बर 16, 2021 01:28 AM IST
    भारतीय प्रबंध संस्थान  (Indian Institute of Management) का निदेशक बनने के लिए बीए में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है. इससे दुखी होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि इसके बाद भी निदेशक बना जा सकता है. विश्व गुरु भारत में 2017 से यह विवाद चल रहा है. IIM रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा की बीए की डिग्री का पता नहीं चल रहा है. इंडियन एक्स्प्रेस की ऋतिका चोपड़ा ने लिखा है कि केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने दो-दो बार पत्र लिखा लेकिन डिग्री का पता नहीं चला और अब तो निदेशक जी का पांच साल का कार्यकाल भी समाप्त होने वाला है. निदेशक से रिपोर्टर ने संपर्क भी किया लेकिन जवाब नहीं दिया. 
  • Blogs | प्रियदर्शन |मंगलवार अगस्त 3, 2021 08:43 PM IST
    प्रधानमंत्री दुखी हैं कि विपक्ष संसद नहीं चलने दे रहा. इसे वे संसद, संविधान और लोकतंत्र विरोधी कृत्य मान रहे हैं. लोकसभाध्यक्ष उचित ही यह हिसाब लगा रहे हैं कि मॉनसून सत्र के बरबाद गए घंटों की वजह से कितने रुपये जाया हुए. लेकिन क्या यह कोई नई प्रक्रिया है जो संसद में पहली बार देखी जा रही है?
  • Blogs | रवीश कुमार |बुधवार मई 19, 2021 12:13 AM IST
    कुछ छात्र होते हैं जिन्हें पता है कि प्रिंसिपल की डांट पड़ेगी लेकिन उन पर उस डांट का कोई असर नहीं होता. बस वे प्रिंसिपल के सामने डरते हुए खड़े होने का बहाना करते हैं, डांट खाते हैं और छुट्टी के बाद पूरे प्रसंग पर हंसी मज़ाक करते हैं. वापस वही सब करते हैं जिसके लिए डांट पड़ती है. कोविड के मामले में कोर्ट की फटकार सुन रहे अधिकारियों का भी लगता है यही हाल हो गया है.
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