'ओमर्टा' में राजकुमार राव
नई दिल्ली:
'ओमर्टा' पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश आतंकवादी अहमद ओमार सईद की जिंदगी की कहानी कहती है जहां ओमार कैसे एक अच्छे छात्र से एक आतंकवादी में तब्दील होता है. फिल्म में ओमार के हिंदुस्तान में चार विदेशियों के अपहरण करने से लेकर हाईजैक हुए विमान के दौरान उसकी रिहाई, डेनियल पर्ल की हत्या और 26/11 मुंबई अटैक में उसका हाथ होने तक की कहानी कहती है.
खामियां
फिल्म की पहली खामी जो मुझे लगी कि एक टेररिस्ट को देखकर गुस्सा आना चाहिए लेकिन ऐसा इस फिल्म में नहीं होता. हालांकि बतौर हंसल मेहता ओमार की जिंदगी को ड्रामैटिक अंदाज में दर्शाया है पर ये फिल्म मुझे ड्रामा और डॉक्युमेंट्री के बीच में झूलती नजर आई क्योंकि यहां आप किसी भावना से रू-ब-रू नहीं होते. फिल्म की दूसरी खामी मुझे लगी फिल्म का नैरेटिव जहां ओमार की जिंदगी के दो पहलू साथ-साथ चलते हैं जिसकी वजह से आपको ये पता नहीं चलता आप कब फ्लैशबैक में गए और कब प्रेजेंट में आए. और तीसरा, ये सवाल मेरे जेहन में आखिर तक रहा कि ओमार की कहानी कहनी क्यों जरूरी थी?
खूबियां
फिल्म की पहली खूबी है फिल्म का ट्रीटमेंट और राजकुमार राव का बेहतरीन अभिनय. ट्रीटमेंट में फिल्म कहीं भी नाटकीय नहीं होती. किरदार वास्तविकता के करीब हैं. फिल्म के कई सीन आपको दहला देते हैं. खास तौर से डेनियल की हत्या का दृश्य जहां बहुत प्रभावशाली ढंग से निर्देशक हंसल मेहता ने इस सीन को अंजाम दिया है. इसमें कोई दो राय नहीं कि हंसल मेहता एक अच्छे निर्देशक हैं और इस फिल्म का भी उन्होंने अच्छा निर्देशन किया है लेकिन मेरा मानना यह है कि ये फिल्म अगर एक डॉक्युमेंट्री की तरह होती तो बेहतर होता. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी, फिल्म के माहौल और उसके डार्क साइड को बल देती है. साथ ही फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के नैरेटिव को और सहारा देता है.
रेटिंगः 3 स्टार
डायरेक्टरः हंसल मेहता
कलाकारः राजकुमार राव,राजेश तैलंग, रुपिंदर नागरा, केवल अरोड़ा और टिमोथी रायन
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
खामियां
फिल्म की पहली खामी जो मुझे लगी कि एक टेररिस्ट को देखकर गुस्सा आना चाहिए लेकिन ऐसा इस फिल्म में नहीं होता. हालांकि बतौर हंसल मेहता ओमार की जिंदगी को ड्रामैटिक अंदाज में दर्शाया है पर ये फिल्म मुझे ड्रामा और डॉक्युमेंट्री के बीच में झूलती नजर आई क्योंकि यहां आप किसी भावना से रू-ब-रू नहीं होते. फिल्म की दूसरी खामी मुझे लगी फिल्म का नैरेटिव जहां ओमार की जिंदगी के दो पहलू साथ-साथ चलते हैं जिसकी वजह से आपको ये पता नहीं चलता आप कब फ्लैशबैक में गए और कब प्रेजेंट में आए. और तीसरा, ये सवाल मेरे जेहन में आखिर तक रहा कि ओमार की कहानी कहनी क्यों जरूरी थी?
खूबियां
फिल्म की पहली खूबी है फिल्म का ट्रीटमेंट और राजकुमार राव का बेहतरीन अभिनय. ट्रीटमेंट में फिल्म कहीं भी नाटकीय नहीं होती. किरदार वास्तविकता के करीब हैं. फिल्म के कई सीन आपको दहला देते हैं. खास तौर से डेनियल की हत्या का दृश्य जहां बहुत प्रभावशाली ढंग से निर्देशक हंसल मेहता ने इस सीन को अंजाम दिया है. इसमें कोई दो राय नहीं कि हंसल मेहता एक अच्छे निर्देशक हैं और इस फिल्म का भी उन्होंने अच्छा निर्देशन किया है लेकिन मेरा मानना यह है कि ये फिल्म अगर एक डॉक्युमेंट्री की तरह होती तो बेहतर होता. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी, फिल्म के माहौल और उसके डार्क साइड को बल देती है. साथ ही फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के नैरेटिव को और सहारा देता है.
रेटिंगः 3 स्टार
डायरेक्टरः हंसल मेहता
कलाकारः राजकुमार राव,राजेश तैलंग, रुपिंदर नागरा, केवल अरोड़ा और टिमोथी रायन
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...