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तिरुपति लड्डू विवाद के बीच पवन कल्याण मंदिर में झाड़ू लगाते आए नजर

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने तिरुपति के प्रसाद लड्डू में पशु चर्बी की मिलावट के लिए रविवार को गुंटूर जिले के एक मंदिर में अपनी 11 दिवसीय 'प्रायश्चित दीक्षा' शुरू की थी. प्रसादम में मछली और पशु चर्बी से मिलावटी घी इस्तेमाल किए जाने से पवन कल्याण दुखी हैं और इसलिए उन्होंने ‘प्रायश्चित दीक्षा' करने का फैसला लिया.

  • आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और एक्टर पवन कल्याण ने तिरुपति के प्रसाद लड्डू में पशु चर्बी की मिलावट के लिए रविवार को एक मंदिर में अपनी 11 दिवसीय 'प्रायश्चित दीक्षा' शुरू की थी. प्रायश्चित दीक्षा के तहत पवन कल्याण दुर्गा मल्लेश्वर मंदिर में सफाई करते हुए नजर आए.
  • पवन कल्याण ने तिरुपति के प्रसाद लड्डू में पशु चर्बी की मिलावट के लिए रविवार को एक मंदिर में अपनी 11 दिवसीय 'प्रायश्चित दीक्षा' शुरू की थी. इस दौरान मंदिर के साधु-संत पवन कल्याण को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए
  • दीक्षा शुरू करने से पहले दिए गए एक बयान में जन सेना के नेता पवन कल्याण ने कहा, "हे, बालाजी भगवान! क्षमा करें प्रभु. तिरुमाला लड्डू प्रसाद जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है, वह प्रसाद पिछले शासकों की अनियंत्रित प्रवृत्ति के कारण अपवित्र हो गया था.
  • पवन कल्याण ने कहा कि प्रसाद पशु चर्बी के अवशेषों से दूषित हो गया था. ऐसे पाप क्रूर सोच वाले ही करते हैं. इस पाप को शुरुआत में न पहचान पाना हिंदू जाति पर कलंक की मानिंद है.
  • पवन कल्याण ने कहा, "जब मुझे पता चला कि लड्डू प्रसादम में पशु की चर्बी है, तो मेरा मन बहुत विचलित हो गया. मैं छला हुआ महसूस करने लगा. मैं जन कल्याण के लिए लड़ रहा हूं. मुझे दुख इस बात का हुआ कि शुरुआत में ऐसी समस्या मेरे ध्यान में नहीं आई. सनातन धर्म के प्रत्येक अनुयायी को कलयुग के देवता भगवान बालाजी के साथ हुए इस घोर अन्याय के लिए प्रायश्चित करना चाहिए. इसी के तहत मैंने प्रायश्चित के लिए दीक्षा लेने का फैसला किया है."
  • पवन कल्याण ने आगे कहा कि केवल वे लोग ही ऐसा जघन्य अपराध कर सकते हैं, जिनका ईश्वर में विश्वास नहीं होता है और पाप कर्म का कोई भय नहीं होता है.
  • पवन कल्याण ने कहा था कि दुख यह है कि बोर्ड के सदस्य और कर्मचारी जो तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम सिस्टम का हिस्सा हैं, वे भी वहां की गलतियों का पता नहीं लगा पाते हैं. यदि उन्हें पता चलता भी है, तो वे इसके बारे में बात नहीं करते हैं. ऐसा लगता है कि वे उस समय के राक्षसी प्रवृत्ति वाले शासकों से डरते थे.
  • पवन कल्याण इस विवाद के सामने आने के बाद कह चुके हैं कि इस बात पर भी मन अत्यंत व्याकुल है कि लड्डू प्रसाद बनाने में जानवरों की चर्बी वाले घी का इस्तेमाल किया गया था. धर्म की पुनर्स्थापना की दिशा में कदम उठाने का समय आ चुका है.
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