विश्व एड्स दिवस 2017
नई दिल्ली:
हर साल 1 दिसम्बर विश्व एड्स दिवस के तौर पर मानाया जाता है. इसका उद्देश्य एचआईवी के लिए जागरुकता बढ़ाना होता है. पहली बार विश्व एड्स दिवस 1988 में मनाया गया. तब से अब तक इस बीमारी की चपेट से लोगों को बचाने के लिए सरकार द्वारा तरह-तरह के कार्यक्रम चलाये जाते रहे हैं और लोगों को जागरुक किया जा रहा है. इन्हीं में से एक है एडल्ट वैक्सीनेशन. लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च ने इसके बारे में एक चौकाने वाली बात सामने आई है.
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हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक पता चला है कि 68 प्रतिशत भारतीयों को एडल्ट वैक्सीनेशन के बारे में मालूम नहीं है. इस अध्ययन में शामिल हुए ज़्यादातर लोगों को सिर्फ यही मालूम है कि टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन बच्चों के लिए ही होता है. आपको बता दें कि साल 1985 में टीकाकरण कार्यक्रम देशभर में शुरु किया गया था जो टीबी, टेटनस, डिप्थीरिया, पोलियो और खसरे से निपटने के लिए था.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, जब एक वयस्क व्यक्ति के लिए टीकाकरण की आवश्यकता समाप्त नहीं होती है. एक बच्चे के रुप में प्राप्त टीकों से कुछ ही वर्षों तक सुरक्षा मिलती है और नए विभिन्न रोगों के जोखिम से निपटने के लिए और वेक्सीनेशन की जरूरत पड़ती है.
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "स्वस्थ भोजन की तरह, शारीरिक गतिविधि और नियमित जांच-पड़ताल, एक व्यक्ति को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. रोगों से लड़ने के लिए टीका सबसे सुरक्षित है. क्योंकि शहरों में रहने वाले लोगों की आजकल की लाइफ में बेवक्त खाना, नींद की कमी, काम के अनियमित घंटे और अक्सर यात्राएं शामिल रहती हैं. इससे उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो गई है."
अग्रवाल ने आगे कहा, " ऐसे लाइफस्टाइल के चलते कभी भी शरीर को कोई रोग घेर सकता है. हमारे रहने और काम करने के स्थान अलग-अलग होते हैं और कभी-कभी हम सब सुदूर स्थानों पर घूमने भी जाते हैं. विभिन्न क्षेत्रों पर आने जाने से किसी भी संचारी रोग से ग्रस्त होने का खतरा पैदा हो जाता है. मेडिकल साइंस तरक्की कर चुका है और कई स्वास्थ्य स्थितियों के लिए नई, बेहतर सुविधाएं और उपचार आज मौजूद हैं. हमारे बचपन के दौरान कई रोगों के टीके थे ही नहीं, लेकिन अब उन सब के टीके मौजूद हैं."
उन्होंने कहा कि भारत सरकार एडल्ट वेक्सीनेशन के लिए कदम उठा रही है. वर्ष 1985 में, टीकाकरण कार्यक्रम देशभर में शुरु किया गया था जो टीबी, टेटनस, डिप्थीरिया, पोलियो और खसरे से निपटने के लिए था.
अग्रवाल ने बताया, "50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को मौसमी इन्फ्लूएंजा (फ्लू), न्यूमोकोकल रोग (निमोनिया, सेप्सिस, मेनिन्जाइटिस), हेपेटाइटिस बी संक्रमण (जिन्हें मधुमेह है या हेपेटाइटिस बी का जोखिम है), टेटनस, डिप्थीरिया, पेरटुसिस और दाद (60 साल और उससे बड़े वयस्कों के लिए) जैसी स्थितियों से सुरक्षित रखने की आवश्यकता है."
एडल्ट वेक्सीनेशन के बारे में 4 ज़रूरी बातें :-
1. टीकाकरण से हर साल 30 लाख लोगों की सुरक्षा होती है.
2. टीकाकरण से मृत्यु दर कम होती है और चिकित्सा लागत में कमी आती है.
3. फ्लू वैक्सीन की वजह से अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में 70 फीसदी कमी आई है.
4. हेपेटाइटिस बी के टीके से लीवर कैंसर के मामलों में कमी आई है.
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हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक पता चला है कि 68 प्रतिशत भारतीयों को एडल्ट वैक्सीनेशन के बारे में मालूम नहीं है. इस अध्ययन में शामिल हुए ज़्यादातर लोगों को सिर्फ यही मालूम है कि टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन बच्चों के लिए ही होता है. आपको बता दें कि साल 1985 में टीकाकरण कार्यक्रम देशभर में शुरु किया गया था जो टीबी, टेटनस, डिप्थीरिया, पोलियो और खसरे से निपटने के लिए था.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, जब एक वयस्क व्यक्ति के लिए टीकाकरण की आवश्यकता समाप्त नहीं होती है. एक बच्चे के रुप में प्राप्त टीकों से कुछ ही वर्षों तक सुरक्षा मिलती है और नए विभिन्न रोगों के जोखिम से निपटने के लिए और वेक्सीनेशन की जरूरत पड़ती है.
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "स्वस्थ भोजन की तरह, शारीरिक गतिविधि और नियमित जांच-पड़ताल, एक व्यक्ति को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. रोगों से लड़ने के लिए टीका सबसे सुरक्षित है. क्योंकि शहरों में रहने वाले लोगों की आजकल की लाइफ में बेवक्त खाना, नींद की कमी, काम के अनियमित घंटे और अक्सर यात्राएं शामिल रहती हैं. इससे उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो गई है."
अग्रवाल ने आगे कहा, " ऐसे लाइफस्टाइल के चलते कभी भी शरीर को कोई रोग घेर सकता है. हमारे रहने और काम करने के स्थान अलग-अलग होते हैं और कभी-कभी हम सब सुदूर स्थानों पर घूमने भी जाते हैं. विभिन्न क्षेत्रों पर आने जाने से किसी भी संचारी रोग से ग्रस्त होने का खतरा पैदा हो जाता है. मेडिकल साइंस तरक्की कर चुका है और कई स्वास्थ्य स्थितियों के लिए नई, बेहतर सुविधाएं और उपचार आज मौजूद हैं. हमारे बचपन के दौरान कई रोगों के टीके थे ही नहीं, लेकिन अब उन सब के टीके मौजूद हैं."
उन्होंने कहा कि भारत सरकार एडल्ट वेक्सीनेशन के लिए कदम उठा रही है. वर्ष 1985 में, टीकाकरण कार्यक्रम देशभर में शुरु किया गया था जो टीबी, टेटनस, डिप्थीरिया, पोलियो और खसरे से निपटने के लिए था.
अग्रवाल ने बताया, "50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को मौसमी इन्फ्लूएंजा (फ्लू), न्यूमोकोकल रोग (निमोनिया, सेप्सिस, मेनिन्जाइटिस), हेपेटाइटिस बी संक्रमण (जिन्हें मधुमेह है या हेपेटाइटिस बी का जोखिम है), टेटनस, डिप्थीरिया, पेरटुसिस और दाद (60 साल और उससे बड़े वयस्कों के लिए) जैसी स्थितियों से सुरक्षित रखने की आवश्यकता है."
एडल्ट वेक्सीनेशन के बारे में 4 ज़रूरी बातें :-
1. टीकाकरण से हर साल 30 लाख लोगों की सुरक्षा होती है.
2. टीकाकरण से मृत्यु दर कम होती है और चिकित्सा लागत में कमी आती है.
3. फ्लू वैक्सीन की वजह से अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में 70 फीसदी कमी आई है.
4. हेपेटाइटिस बी के टीके से लीवर कैंसर के मामलों में कमी आई है.
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