देश के इन 5 रेलवे स्टेशनों को चलाती हैं महिलाएं
नई दिल्ली:
दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो महिलाएं ना कर सकें. घर चलाने से लेकर ट्रेन दौड़ाने तक, आज महिलाएं सभी काम कर रही हैं. इसी ओर एक कदम आगे अब महिलाएं पूरा रेवले स्टेशनों को संभाल रही हैं. यहां आपको भारत के ऐसे 5 रेलवे स्टेशनों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें सिर्फ महिलाएं चलाती हैं.
यहां ट्रेन चलाने से लेकर स्टेशन मास्टर, सुपरवाइजर, टिकट चेकर और रिजर्वेशन क्लर्क तक सभी काम महिलाओं द्वारा किया जाता है.आपको बता दें कि भारतीय रेल के कुल 13 लाख कर्मचारियों में से 1 लाख महिलाएं हैं यानी (7.6 फीसदी).
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माटुंगा रेलवे स्टेशन
भारतीय रेल का पहला स्टेशन जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है, वह मुंबई उपनगर का माटुंगा रेलवे स्टेशन है. यह स्टेशन मध्य रेलवे (सीआर) के तहत आता है. इस स्टेशन का नाम सभी महिला कर्मचारी को लेकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड्स रिकार्ड्स 2018 में भी दर्ज किया गया है.
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यह स्टेशन साल 2017 के जुलाई माह से केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है, लेकिन लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड्स रिकार्ड्स में इसका नाम छह महीने बाद दर्ज किया गया. इस स्टेशन पर कुल 41 महिलाओं के दल की तैनाती की गई है, जिसमें आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल), वाणिज्यिक और परिचालन विभाग के कर्मी शामिल हैं. इस स्टेशन की कमान स्टेशन मास्टर ममता कुलकर्णी संभालती हैं. इस रेलवे स्टेशन के परिचालन का सभी काम चौबीसो घंटे महिलाएं ही संभालती हैं.
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माटुंगा रेलवे स्टेशन की स्टेशन मास्टर ममता कुलकर्णी का कहना है, "हमारा अनुभव बहुत ही निर्विघ्न रहा है, कह सकते हैं कि जादुई रहा है. मैंने अपने रेलवे के 25 सालों के करियर में कभी सोचा नहीं था कि कभी सभी महिला कर्मचारियों के साथ काम करने का मौका मिलेगा."
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हालांकि कुछ कर्मियों को शुरुआत में परेशानियों का सामना करना पड़ा. कीर्ति कोथाने का कहना है कि उन्होंने कभी किसी दुर्घटना के मामले को नहीं संभाला था, लेकिन अब उन्हें पता है कि ऐसे मामलों में कैसे काम करना चाहिए. यहां तक कि माटुंगा स्टेशन पर तैनात महिला टिकट चेकरों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय पुरुष यात्रियों से निपटने का तरीका सीख लिया है.
गांधी नगर रेलवे स्टेशन
इसके बाद जयपुर का गांधी नगर रेलवे स्टेशन देश का दूसरा रेलवे स्टेशन तथा प्रमुख रेलवे स्टेशनों में सबसे पहला रेलवे स्टेशन था, जहां केवल महिला कर्मियों की तैनाती की गई, जिसमें टिकट चेकर से लेकर स्टेशन मास्टर तक शामिल हैं.
इस रेलवे स्टेशन पर रोजाना औसतन 7,000 यात्री आते हैं और यह जयपुर के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है. इस स्टेशन पर फिलहाल 40 महिला रेलवे कर्मियों की तैनाती की गई है, जिसमें स्टेशन मास्टर के अलावा चीफ रिजर्वेशन सुपरवाइजर, टिकट चेकर और रिजर्वेशन क्लर्क शामिल हैं. इसके साथ ही इस स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल के कर्मियों में केवल महिलाओं की ही तैनाती की गई है.
गुलाबी नगरी का गांधी नगर रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण जयपुर-दिल्ली रूट में है, जहां से रोजाना 50 ट्रेनें गुजरती हैं, जिसमें से इस स्टेशन पर 25 ट्रेनों का ठहराव है. इस स्टेशन को महिला-अनुकूल बनाने के लिए यहां सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें भी लगाई गई है (एनजीओ आरुषि के सहयोग से). यहां काम करने वाली सभी महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है कि किसी बड़े रेलवे स्टेशन पर आनेवाली चुनौतियों का सामना वे आत्मविश्वास के साथ कर पाएं.
अजनी रेलवे स्टेशन
महाराष्ट्र के नागपुर का अजनी रेलवे स्टेशन देश का तीसरा रेलवे स्टेशन है, जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जाता है. अजनी नागपुर का सेटेलाइट स्टेशन है, जो मध्य रेलवे के नागपुर खंड का हिस्सा है और महत्वपूर्ण दिल्ली-चेन्नई रूट का हिस्सा है. इस स्टेशन पर रोजाना औसतन 6,000 यात्रियों की आवाजाही होती है. अजनी रेलवे स्टेशन पर कुल 22 महिला कर्मियों की तैनाती की गई है, जिसमें स्टेशन मास्टर समेत 6 वाणिज्यिक क्लर्क, 4 टिकट चेकर, 4 कुली, 4 सफाई कर्मचारी और 3 रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कर्मी शामिल हैं. इस स्टेशन को अपग्रेड किया जा रहा है कि शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन से भीड़भाड़ को कम किया जा सके.
मणिनगर रेलवे स्टेशन
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद का मणिनगर रेलवे स्टेशन देश का चौथा और राज्य का पहला रेलवे स्टेशन है, जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जाता है. यह स्टेशन पश्चिम रेलवे के अंतर्गत आता है. देश का पहला रेलवे स्टेशन जो केवल महिलाओं के द्वारा चलाया जाता है. इस स्टेशन पर 23 वाणिज्यिक क्लर्क और तीन परिचालन कर्मी (स्टेशन मास्टर और प्वाइंट्स पर्सन्स) के साथ 10 रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की तैनाती की गई है और सभी महिलाएं हैं. साथ ही 36 अन्य फ्रंट लाइन कर्मियों में भी महिलाएं ही है.
चंद्रागिरी रेलवे स्टेशन
आंध्र प्रदेश का चंद्रागिरी रेलवे स्टेशन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के गृह जिले चित्तूर में स्थित है और यह रेलवे दक्षिण मध्य रेलवे के गुंटकल खंड में आता है. यह देश का पांचवां और आंध्र प्रदेश का पहला रेलवे स्टेशन है, जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है. इस स्टेशन पर कुल 12 कर्मी हैं, जिसमें स्टेशन मास्टर, बुकिंग क्लर्क, प्वाइंट्स मैन, सुरक्षा और सफाई कर्मी शामिल हैं और सभी महिलाएं हैं. इस स्टेशन से रोजाना 234 यात्री गुजरते हैं और इस स्टेशन से औसतन 5,000 रुपये का राजस्व रोजाना प्राप्त होता है.
इसके अलावा दक्षिण मध्य रेलवे के अंतर्गत आनेवाला तमिलनाडु के तिरुपति, आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले के फिरंगीपुरम रेलवे स्टेशन और हैदराबाद के बेगमपट रेलवे स्टेशन की कमान भी पूरी तरह महिलाओं के हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है.
देखें वीडियो - रेलवे में रोज़गार कहां हैं?
यहां ट्रेन चलाने से लेकर स्टेशन मास्टर, सुपरवाइजर, टिकट चेकर और रिजर्वेशन क्लर्क तक सभी काम महिलाओं द्वारा किया जाता है.आपको बता दें कि भारतीय रेल के कुल 13 लाख कर्मचारियों में से 1 लाख महिलाएं हैं यानी (7.6 फीसदी).
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माटुंगा रेलवे स्टेशन
भारतीय रेल का पहला स्टेशन जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है, वह मुंबई उपनगर का माटुंगा रेलवे स्टेशन है. यह स्टेशन मध्य रेलवे (सीआर) के तहत आता है. इस स्टेशन का नाम सभी महिला कर्मचारी को लेकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड्स रिकार्ड्स 2018 में भी दर्ज किया गया है.
इस कैंसर से हर साल भारत में 74 हजार महिलाओं की हो रही है मौत
यह स्टेशन साल 2017 के जुलाई माह से केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है, लेकिन लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड्स रिकार्ड्स में इसका नाम छह महीने बाद दर्ज किया गया. इस स्टेशन पर कुल 41 महिलाओं के दल की तैनाती की गई है, जिसमें आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल), वाणिज्यिक और परिचालन विभाग के कर्मी शामिल हैं. इस स्टेशन की कमान स्टेशन मास्टर ममता कुलकर्णी संभालती हैं. इस रेलवे स्टेशन के परिचालन का सभी काम चौबीसो घंटे महिलाएं ही संभालती हैं.
Women's Day Google Doodle: 'औरतें वो नहीं सुनना चाहती जो आप सोचते हैं, औरतें वो सुनना चाहती हैं जो वो सोचती हैं', पढ़ें 8 शानदार मैसेजेस
माटुंगा रेलवे स्टेशन की स्टेशन मास्टर ममता कुलकर्णी का कहना है, "हमारा अनुभव बहुत ही निर्विघ्न रहा है, कह सकते हैं कि जादुई रहा है. मैंने अपने रेलवे के 25 सालों के करियर में कभी सोचा नहीं था कि कभी सभी महिला कर्मचारियों के साथ काम करने का मौका मिलेगा."
13 घंटे काम और सैलरी सिर्फ 7 घंटे की, ऐसी है इस देश की महिलाओं की हालत
हालांकि कुछ कर्मियों को शुरुआत में परेशानियों का सामना करना पड़ा. कीर्ति कोथाने का कहना है कि उन्होंने कभी किसी दुर्घटना के मामले को नहीं संभाला था, लेकिन अब उन्हें पता है कि ऐसे मामलों में कैसे काम करना चाहिए. यहां तक कि माटुंगा स्टेशन पर तैनात महिला टिकट चेकरों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय पुरुष यात्रियों से निपटने का तरीका सीख लिया है.
गांधी नगर रेलवे स्टेशन
इसके बाद जयपुर का गांधी नगर रेलवे स्टेशन देश का दूसरा रेलवे स्टेशन तथा प्रमुख रेलवे स्टेशनों में सबसे पहला रेलवे स्टेशन था, जहां केवल महिला कर्मियों की तैनाती की गई, जिसमें टिकट चेकर से लेकर स्टेशन मास्टर तक शामिल हैं.
इस रेलवे स्टेशन पर रोजाना औसतन 7,000 यात्री आते हैं और यह जयपुर के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है. इस स्टेशन पर फिलहाल 40 महिला रेलवे कर्मियों की तैनाती की गई है, जिसमें स्टेशन मास्टर के अलावा चीफ रिजर्वेशन सुपरवाइजर, टिकट चेकर और रिजर्वेशन क्लर्क शामिल हैं. इसके साथ ही इस स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल के कर्मियों में केवल महिलाओं की ही तैनाती की गई है.
गुलाबी नगरी का गांधी नगर रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण जयपुर-दिल्ली रूट में है, जहां से रोजाना 50 ट्रेनें गुजरती हैं, जिसमें से इस स्टेशन पर 25 ट्रेनों का ठहराव है. इस स्टेशन को महिला-अनुकूल बनाने के लिए यहां सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें भी लगाई गई है (एनजीओ आरुषि के सहयोग से). यहां काम करने वाली सभी महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है कि किसी बड़े रेलवे स्टेशन पर आनेवाली चुनौतियों का सामना वे आत्मविश्वास के साथ कर पाएं.
अजनी रेलवे स्टेशन
महाराष्ट्र के नागपुर का अजनी रेलवे स्टेशन देश का तीसरा रेलवे स्टेशन है, जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जाता है. अजनी नागपुर का सेटेलाइट स्टेशन है, जो मध्य रेलवे के नागपुर खंड का हिस्सा है और महत्वपूर्ण दिल्ली-चेन्नई रूट का हिस्सा है. इस स्टेशन पर रोजाना औसतन 6,000 यात्रियों की आवाजाही होती है. अजनी रेलवे स्टेशन पर कुल 22 महिला कर्मियों की तैनाती की गई है, जिसमें स्टेशन मास्टर समेत 6 वाणिज्यिक क्लर्क, 4 टिकट चेकर, 4 कुली, 4 सफाई कर्मचारी और 3 रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कर्मी शामिल हैं. इस स्टेशन को अपग्रेड किया जा रहा है कि शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन से भीड़भाड़ को कम किया जा सके.
मणिनगर रेलवे स्टेशन
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद का मणिनगर रेलवे स्टेशन देश का चौथा और राज्य का पहला रेलवे स्टेशन है, जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जाता है. यह स्टेशन पश्चिम रेलवे के अंतर्गत आता है. देश का पहला रेलवे स्टेशन जो केवल महिलाओं के द्वारा चलाया जाता है. इस स्टेशन पर 23 वाणिज्यिक क्लर्क और तीन परिचालन कर्मी (स्टेशन मास्टर और प्वाइंट्स पर्सन्स) के साथ 10 रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की तैनाती की गई है और सभी महिलाएं हैं. साथ ही 36 अन्य फ्रंट लाइन कर्मियों में भी महिलाएं ही है.
चंद्रागिरी रेलवे स्टेशन
आंध्र प्रदेश का चंद्रागिरी रेलवे स्टेशन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के गृह जिले चित्तूर में स्थित है और यह रेलवे दक्षिण मध्य रेलवे के गुंटकल खंड में आता है. यह देश का पांचवां और आंध्र प्रदेश का पहला रेलवे स्टेशन है, जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है. इस स्टेशन पर कुल 12 कर्मी हैं, जिसमें स्टेशन मास्टर, बुकिंग क्लर्क, प्वाइंट्स मैन, सुरक्षा और सफाई कर्मी शामिल हैं और सभी महिलाएं हैं. इस स्टेशन से रोजाना 234 यात्री गुजरते हैं और इस स्टेशन से औसतन 5,000 रुपये का राजस्व रोजाना प्राप्त होता है.
इसके अलावा दक्षिण मध्य रेलवे के अंतर्गत आनेवाला तमिलनाडु के तिरुपति, आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले के फिरंगीपुरम रेलवे स्टेशन और हैदराबाद के बेगमपट रेलवे स्टेशन की कमान भी पूरी तरह महिलाओं के हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है.
देखें वीडियो - रेलवे में रोज़गार कहां हैं?
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