Baby powder milk : नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही कम से कम 6 महीने के लिए पोषक तत्वों के लिहाज से सबसे अच्छा होता है. लेकिन कुछ माताएं ऐसी होती हैं जिनको दूध नहीं बन पाता है ऐसे में वो बच्चों को मैन्युफैक्चर्ड पाऊडर दूध पिलाने लगती हैं . बिना ये सोचे के इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. आज हम लेख में आपके लिए पाउडर मिल्क के क्या नुकसान हैं उसके बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आप अगर उन्हें पाउडर मिल्क (powder mil ke disadvantage) पिलाने के बारे में सोच रही हैं तो एक बार ये लेख ज़रूर पढ़ लीजिए.
पाउडर मिल्क पिलाने के नुकसान
- सबसे पहली बात तो ये समय लेता है. इसको बनाने के लिए आपको पानी गरम करना पड़ेगा फिर पाउडर बहुत ज्यादा और कम नहीं होना चाहिए. इसके लिए आपको बॉटल और निपल्स पर अलग से खर्च करना पड़ता है. फिर इसके तापमान का भी भी ख्याल रखना पड़ता है.
- वहीं, जब आप पाउडर मिल्क समय से उसको पिलाकर खत्म नहीं कर पाए तो एक्सपायरी का डर होता है. जो अलग से खर्चा बढ़ाता है. आपको नया पैकेट लाना पड़ता है.
- वहीं, मां के दूध में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि इसमें मिलना मुमकिन नहीं है. इससे आपके बच्चे का हाजमा भी बिगड़ सकता है. इससे कब्ज की परेशानी का भी सामना करना पड़ता है बच्चे को.
- अधिकतर मां को ब्रेस्टफीड करवाते समय निप्पल में दर्द या का सामना करना पड़ता है जिसके कारण वो बेबी को फीड करवाने के लिए मिल्क पाउडर का रास्त अपनाती हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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