International Women's Day: कहते हैं औरत चाहे तो क्या नहीं कर सकती, वह मां, होममेकर, बिजनेसवुमन, टीचर, डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस, क्या नहीं है. महिला दिवस महिलाओं के इसी जज्बे को सलाम करता है. इस दिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की कामयाबी, दृणता, सशक्तिकरण और उपलब्धियों का जश्न मनाया जाता है. महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय पर आवाज उठाए जाने के साथ ही उनके सशक्तिकरण पर जोर दिया जाता है. इस वर्ष भी 08 मार्च के दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाया जाएगा.
अंतर्राष्ट्रीय माहिला दिवस 2022 का थीम | International Women's Day 2022 Theme
इस वर्ष महिला दिवस का थीम Gender Equality Today For A Sustainable Tomorrow है, यानी आने वाले अच्छे कल के लिए आज लिंगभेद को खत्म करना होगा. चाहे जानकर हो या अनजाने में लेकिन महिलाओं के साथ हर क्षेत्र में आज भी भेदभाव होता है जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है. इसी पर इस वर्ष का थीम आधारित है.
अंतर्राष्ट्रीय माहिला दिवस का इतिहास | International Women's Day Historyइतिहास में झांकें तो महिलाओं के पास वो अधिकार और संसाधन नहीं थे जो पुरुषों के पास थे और जो महिलाओं को भी मिलने चाहिए थे. उनके काम के घंटे ज्यादा थे, काम के अनुसार पैसे बहुत कम दिए जाते थे और वोट देने जैसे अधिकार भी उनके पास नहीं थे. 1908 में इसी भेदभाव और उत्पीड़न पर महिलाओं में वाद-विवाद होने लगा और आखिर इसपर आवाज उठाते हुए तकरीबन 15,000 महिलाओं ने न्यू यॉर्क की सड़कों पर रैली निकाली थी. 1910 पर इसपर कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं को लेकर कोन्फ्रेंस हुई थी.
1911 में जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की लीडर क्लारा जेटकिन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का प्रस्ताव रखा और 19 मार्च के दिन इसे मनाया. वहीं, 1913-1914 में 23 फरवरी के दिन रूस (Russia) में पहला महिला दिवस मनाया गया और आगे चलकर वैश्विक स्तर पर इसे 8 मार्च मनाया जाना घोषित कर दिया. यूनाइटेड नेशंस में महिला दिवस मनाने की शुरुआत 1975 में हुई थी.
यह दिन सिर्फ इसलिए नहीं मनाया जाता क्योंकि इसे कैलेंडर में दिखाना है बल्कि इसलिए मनाया जाता है क्योंकि आज भी ऐसी अनेक महिलाएं हैं जो उत्पीड़न का शिकार होती हैं, शिक्षा से वंचित हैं, भ्रूण हत्या के लिए मजबूर होती हैं, जिनके पास काम के साधन नहीं हैं या भुखमरी में जी रही हैं. इनके लिए आवाज उठाना और इस भेदभाव को कम करना आवश्यक है, इसीलिए आज भी इस दिन का उतना ही महत्व है जितना सालों पहले था.
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