Bad Parenting: कहते हैं बच्चे फूल से कोमल होते हैं जिन्हें चोट भी बहुत जल्दी लगती है. बच्चों के साथ बुरा व्यवहार रखा जाए या उन्हें दुख पहुंचाने के लिए कुछ कहा जाए तो बच्चों के दिलोदिमाग पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. देखा जाता है कि बड़े होने के बाद भी बच्चों को ये बातें परेशान करती हैं. बहुत से बच्चे माता-पिता से दूरी भी बना लेते हैं. बच्चों के लिए पैरेंट्स के ये काम मानसिक तौर पर पीड़ा (Mental Distress) पहुंचाने वाले होते हैं जिस कारण बच्चे जिंदगी में तो आगे बढ़ जाते हैं लेकिन बचपन की ही कुछ यादें उनके लिए हमेशा दुख की वजह बनी रहती हैं. ऐसे में आपके बच्चे को इस तरह की मानसिक पीड़ा ना हो इसके लिए आप इन कामों को करने से परहेज कर सकते हैं या कुछ बातों का ख्याल रख सकते हैं.
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बच्चों को मानसिक तौर पर प्रभावित करने वाले काम
हर बात पर चिल्लानाकई बार बच्चों से सख्ती के लिए तो कई बार आदतन माता-पिता बच्चों से हर बात कहने सुनने के लिए चिल्लाते हैं. पैरेंट्स का इस तरह चिल्लाते रहना बच्चों में डर का कारण बनने लगता है. बच्चे छोटी-बड़ी गलतियों पर झूठ का सहारा भी केवल इसलिए लेने लगते हैं कि उन्हें माता-पिता (Parents) की डांट ना खानी पड़े.
दूसरों के सामने निंदा करनाचाहे बच्चे हों या बड़े कोई नहीं चाहता कि उनकी बाहरी लोगों के सामने निंदा की जाए. बच्चों के मन पर इस तरह किसी और के सामने शर्मिंदगी का पात्र बनना गहरी चोट करता है. पैरेंट्स ऐसा बच्चे को सबक सिखाने के लिए करते हैं, लेकिन बार-बार यही किया जाए तो बच्चे का आत्मविश्वास कम होने लगता है और मानसिक तौर पर भी उसको तकलीफ होती है.
बच्चों की भावनाएं नकारनाअक्सर बच्चे जो कुछ टीवी में या फिर अपने दोस्तों को करते हुए देखते हैं वही करने लगते हैं. कई बार बच्चे बहुत इमोशनल फील करते हैं या खुश महसूस करते हैं तो अपने माता-पिता को गले लगाने के लिए आगे बढ़ते हैं. अगर इस पल में वे अपने बच्चे को गले लगाने के बजाय उसे धुत्कार दें तो बच्चे का मनोबल टूट जाता है. इसलिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चे की भावनाओं (Emotions) को ना नकारें बल्कि उनकी भावनाओं का सम्मान करें. अपनी इमोशनली अनस्टेबिलिटी से बच्चों को प्रभावित करना सही नहीं है.
खुश होते देख कुछ बुरा कह देनाबच्चे मन के सच्चे होते हैं. कई बार वे गलत स्थितियों में भी खुश हो जाते हैं. अगर पापा ने मम्मी का मजाक उड़ा दिया है तो बच्चे खुशी से खिलखिलाने लगते हैं या मम्मी ने पापा को चिढ़ाया हो तो बच्चे ठहाका लगा देते हैं. ऐसे में बच्चों के इस खुशी के पल में उसे कुछ बुरा कहना या उसपर हाथ उठाना बच्चे को प्रभावित करता है. बच्चों को इस व्यवहार से गहरा दुख भी पहुंचता है.
बच्चों को कभी अपने फैसले ना लेने देनाबच्चे गलतियां (Mistakes) करके ही सीखते हैं लेकिन सीखते जरूर हैं. बच्चों को अपने फैसले लेने से ही रोक दिया जाए तो बच्चो को खुद से कुछ भी सीखने में दिक्कत होने लगेगी. इसके अलावा बच्चों के वृद्धि और विकास पर भी फर्क पड़ता है. बहुत से बच्चे इससे खुद को कैद और जकड़ा हुआ भी महसूस करने लगते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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