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This Article is From Sep 19, 2017

महिलाओं में आखिर तक नहीं दिखते हैं खतरनाक ओवेरियन कैंसर के लक्षण

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, एडवांस्ड स्टेज तक पहुंचने और जल्दी मृत्यु होने का मुख्य कारण यह है कि अंतिम समय तक कई महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण प्रकट ही नहीं होते हैं.

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महिलाओं में आखिर तक नहीं दिखते हैं खतरनाक ओवेरियन कैंसर के लक्षण
कई महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण प्रकट ही नहीं होते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं में जितने भी तरह के कैंसर होते हैं, उनमें डिंबग्रंथि या ओवेरियन कैंसर आठवां सबसे आम कैंसर है. मृत्यु दर के मामले में इसका स्थान पांचवां है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, एडवांस्ड स्टेज तक पहुंचने और जल्दी मृत्यु होने का मुख्य कारण यह है कि अंतिम समय तक कई महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण प्रकट ही नहीं होते हैं. डिंबग्रंथि कैंसर से तात्पर्य है अंडाशय में किसी भी तरह के कैंसर का विकसित हो जाना. डिंबग्रंथि का कैंसर अधिकांशत: अंडाशय की बाहरी परत से पैदा होता है. सबसे आम तरह के डिंबग्रंथि कैंसर को एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर (ईओसी) कहा जाता है. इसके अन्य प्रकार भी हैं, जिनमें ओवेरियन लो मैलिगनेंट पोटेंशियल ट्यूमर (ओएलएमपीटी), जर्म सेल ट्यूमर और सेक्स कॉर्ड-स्ट्रोमल ट्यूमर शामिल है. 

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "डिंबग्रंथि कैंसर अक्सर तब तक पता नहीं चलता, जब तक कि यह कमर और पेट के भीतर तक नहीं फैल जाता है. अक्सर इस रोग के लक्षण न तो शुरू में दिखते हैं और न ही अंत में. भूख और वजन की कमी इसके लक्षणों में शामिल है, लेकिन उससे रोग का पता तो हरगिज नहीं चल पाता. वंशानुगत ओवेरियन कैंसर बीआरसीए1 और बीआरसीए2 में म्यूटेशन के कारण होता है."

उन्होंने कहा, "जब ये जीन सामान्य होते हैं, तब वे प्रोटीन बनाकर इस कैंसर को रोकने का काम करते हैं. लेकिन, माता-पिता में किसी एक से भी मिले जीन में उत्परिवर्तन से यह प्रोटीन कम असरकारक हो जाता है. इससे डिंबग्रंथि कैंसर बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. डॉ. अग्रवाल ने कहा, ओवेरियन कैंसर के शुरुआती लक्षणों में से कुछ पैल्विस या कमर, शरीर के निचले हिस्से, पेट और पीठ में दर्द, अपच, कम खाकर ही पेट भरा होने की फीलिंग, बार बार मूत्र आना, यौन क्रिया के दौरान दर्द और मल त्याग की आदतों में बदलाव आदि हैं. जैसे-जैसे यह रोग बढ़ता है, तब मतली, वजन घटने, सांस फूलने, थकान और भूख की कमी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं.
 आईएमए अध्यक्ष ने कहा, इस हालत का इलाज शल्य चिकित्सा, कीमोथेरेपी अथवा दोनों एक साथ और कभी-कभी रेडियोथेरेपी से होता है. इनमें से किस तरह की चिकित्सा दी जानी चाहिए, इसका निर्धारण डिंबग्रंथि कैंसर की अवस्था और ग्रेड तथा रोगी की सामान्य सेहत पर निर्भर करता है. गर्भनिरोधक गोलियां महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकती हैं और गोलियां बंद करने के 30 साल बाद भी उनकी बीमारी से रक्षा कर सकती हैं. 

कुछ युक्तियां जो महिलाओं में डिंबग्रंथि या ओवेरियन कैंसर के जोखिम को रोकने में मदद कर सकती हैं : 

स्तनपान: जब कोई महिला स्तनपान कराती है, तो उसको डिंबग्रंथि और फैलोपियन ट्यूब के कैंसर का खतरा कम हो जाता है.

गर्भावस्था: जिन महिलाओं को अधिक समय तक गर्भधारण रहता है, उन्हें भी डिंबग्रंथि और फैलोपियन ट्यूब कैंसर का कम जोखिम होता है.
 सर्जरी: जिन महिलाओं को हिस्टरेक्टोमी या ट्यूबल लाइगेशन हो चुका हो, उनको भी इस कैंसर का खतरा कम ही होता है. 

स्वस्थ जीवनशैली: फल व सब्जियों का अधिक सेवन, नियमित रूप से व्यायाम, धूम्रपान और शराब से दूरी अच्छी सेहत की निशानी है और कैंसर का खतरा भी कम रहता है.
 
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