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This Article is From Mar 14, 2018

Stephen Hawking: डॉक्टरों ने दी थी 2 साल की डेडलाइन लेकिन जिए 50 साल, जानें क्या थी ये बीमारी

मोटर न्यूरोन एक लाइलाज बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं. लेकिन इसके बावजूद इसे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.

Stephen Hawking: डॉक्टरों ने दी थी 2 साल की डेडलाइन लेकिन जिए 50 साल, जानें क्या थी ये बीमारी
Stephen Hawking: जानें आखिर किस बीमारी से पीड़ित थे स्टीफन
नई दिल्ली: वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का आज निधन हुआ. वह 76 साल के थे और एक लाइलाज मोटर न्यूरोन नामक बीमारी से पीड़ित थे. यह बीमारी उन्हें 21 साल की उम्र में ही हो गई थी. उसके बाद लगातार उनका जीवन डॉक्टरों की निगरानी में रहा और जिंदगी भर व्हीलचेयर पर ही जिए. बीमारी का पता चलने बाद डॉक्टरों ने सिर्फ 2 साल जीवित रहने की उम्मीद जताई थी, लेकिन वह लगभग 50 साल तक जिंदा रहे, बाद में ब्लैक होल और रिलेटिविटी के सिद्धांत पर महान कार्य किया. इस बीच उन्हें नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित भी किया गया. 

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यहां जानें आखिर स्टीफन हॉकिंग को क्या बीमारी थी, जिसके चलते उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी एक चेयर पर बिता दी.

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क्या है मोटर न्यूरोन बीमारी (MND)?
मोटर न्यूरोन एक प्रकार के नर्व सेल्स होते हैं जो मसल्स को चलाने का काम करते हैं. इस सेल्स के खराब होने पर रीढ़ और दिमाग सभी जगह से तंत्रिकाओं धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं. इससे नर्वस सिस्टम बिगड़ता चला जाता है, जिसका कोई इलाज नहीं. यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज़्यादातक मामले 40 वर्ष से ऊपर के लोगों में देखें जाते हैं. यह औरतों के ज्यादा आदमियों को होता है. इस बीमारी का सबसे आम टाइप एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) है, जिससे स्टीफन हॉकिंग पीड़ित थे.  

मोटर न्यूरोन बीमारी के लक्षण?
इस बीमारी का सबसे आम कारण हैं थकान, मांसपेशियों में दर्द, हाथों और पैरों की मांसपेशियों का धीरे-धीरे पतला होना, एड़ी और टांगों में कमजोरी महसूस होना. हाथों से पकड़ कम होना, फीलिंग को कंट्रोल करने में दिक्कत आना, खाना निगलने में भी परेशानी होना, जबड़े में दर्द, बोलने और सांस लेने में भी दिक्कत आना. इसके अलावा मोटर न्यूरोन बीमारी के लक्षण कई चरणों में दिखते हैं. उसी के अनुसार इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है. 

मोटर न्यूरोन बीमारी का इलाज?
ये एक लाइलाज बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं. लेकिन इसके बावजूद इसे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है जैसे:
1. बोलने में दिक्कत होने पर स्पीच थेरेपी लेना.
2. फिजियोथेरेपी की मदद से हाथ-पैरों की मांसपेशियों का ध्यान रखना. 
3. ब्रिथिंग और फीडिंग डिवाइस की मदद से सांस लेने और खाने का ध्यान रखना.
4. हमेशा मोटिवेट रखने के लिए सपोर्ट करना. 

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