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PRADA की टीम ने की कोल्हापुर के कारीगरों से मुलाकात, कोल्हापुरी चप्पल की इस खासियत से इंप्रेस हुए इटेलियन डिजाइनर

PRADA Meets Kolhapuri Artisans: भारत में 400 से 1000 रुपए में मिलने वाली कोल्हापुरी चप्पलों को प्राडा ने अपने शो में दिखाया था और इसकी कीमत 1.25 लाख यानी सवा लाख रखी थी.

PRADA की टीम ने की कोल्हापुर के कारीगरों से मुलाकात, कोल्हापुरी चप्पल की इस खासियत से इंप्रेस हुए इटेलियन डिजाइनर
PRADA की टीम ने की कोल्हापुरी चप्पलों के कारीगरों से मुलाकात.

Kolhapuri Chappal Controversy: इटेलियन लग्जरी फैशन ब्रांड ‘प्राडा' PRADA ने अपने मिलान में हुए मेन्स 2026 स्प्रिंग/समर शो (Men's Spring/Summer Show) शो में भारत की मशहूर कोल्हापुरी चप्पलों को फीचर किया था. प्राडा के रैंप पर मॉडल्स जिन चप्पलों को पहने नजर आए थे वो कोल्हापुरी चप्पल थी या उसे देखकर या फिर उससे इंस्पिरेशन लेकर बनाई गई थी लेकिन इसका किसी तरह का क्रेडिट भारत या कोल्हापुरी चप्पल बनाने वाले कारीगरों को नहीं दिया गया था. सोशल मीडिया पर प्राडा से सवाल किया गया और ब्रांड को लोकल कारीगरों को किसी तरह का क्रेडिट ना देने के लिए ट्रोल भी किया गया. इसके बाद प्राडा की टीम ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए इस बात की पुष्टि की थी कि उनके द्वारा जिस फुटवियर को फीचर किया गया है और अपना बताया गया है वो असल में भारत की शिल्प का प्रतीक रही मशहूर कोल्हापुरी चप्पल (Kolhapuri Chappal) है. कारीगरों ने मुआवजे की मांग की तो मामला बॉम्बे हाई कोर्ट तक पहुंचा जिसके बाद प्राडा और कारीगर संगठनों के बीच सहयोग की मांग की गई. अब प्राडा की टीम ने कोल्हापुर के कारीगरों से मुलाकात की है.

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कोल्हापुर के कारीगरों से मिली PRADA की टीम

प्राडा की 6 लोगों की टीम ने कोल्हापुर के चप्पल कारीगरों से मुलाकात की और सीधा संवाद किया. मुलाकात में कारीगरों ने टीम का सम्मान किया. प्राडा की टीम को चप्पलों के बारे में बताया गया, कोल्हापुरी चप्पलें बनाते हुए दिखाई गईं और कारीगरों ने टीम को चप्पलें पहनने के लिए भी दीं. कारीगरों और प्राडा की टीम (PRADA Team) के बीच हुई मुलाकात में बात हुई कि प्राडा की टीम कोल्हापुर के कारीगरों से सीधा इन चप्पलों को खरीदे और बेचे. कोल्हापुर के कारीगरों की यही इच्छा है कि इन चप्पलों को विश्व के अलग-अलग देशों तक पहुंचाया जा सके.

कर्नाटक और महाराष्ट्र में मशहूर हैं कोल्हापूरी चप्पलें

कोल्हापुरी चप्पलें महाराष्ट्र के कोल्हापुर (Kolhapur) शहर समेत सांगली, सतारा और सोलापुर के साथ ही कर्नाटक में हस्तनिर्मित की जाती हैं. चमड़े से बनी ये चप्पलें पूरी तरह से हाथ से निर्मित की जाती हैं यानी बनाई जाती हैं और इनमें कील या फिर सिंथेटिक चीजों का इस्तेमाल नहीं होता है. ये चप्पलें आरामदायक होती हैं और कई-कई सालों तक चलती हैं. प्राडा की टीम को चप्पलों की यह क्वालिटी देखकर हैरानी हुई.

भारत में 400 से 1000 रुपए में मिलने वाली कोल्हापुरी चप्पलों को प्राडा ने अपने शो में दिखाया था और इसकी कीमत 1.25 लाख यानी सवा लाख रखी थी.

इन चप्पलों को पहले कापशी, पायटान, बक्कलनाली औक कच्छकडी जैसे नामों से भी जाना जाता था. जिन गांवों में ये बनती थीं आमतौर पर उन्हीं नामों के आधार पर इन चप्पलों को नाम दिया जाता था. 1960 के बाद से इन चप्पलों की मांग तेजी से बढ़ी थी जिसके बाद साल 2019 में कोल्हापुरी चप्पलों को भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग मिला था.

फिल्मों में भी नजर आई थी कोल्हापुरी चप्पल

फिल्म सुहाग में अमिताभ बच्चन कोल्हापुरी चप्पल पहने दिखे थे और कोल्हापुरी चप्पल पर उनका एक डायलॉग भी था जिसमें उन्होंने अपनी चप्पल का नंबर भी बताया था. वहीं, शोले, दीवार, डॉन, गंगा जमुना, मदर इंडिया, बजरंगी भाईजान और स्वदेस जैसी बॉलीवुड फिल्मों में एक्टर्स कोल्हापुरी चप्पल पहने नजर आए थे.

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