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धीरे-धीरे इंसान को अंधा बना देता है ग्लूकोमा, ये लक्षण इग्नोर न करें, इन जड़ी-बूटी से बचेगी आंख की रोशनी

Glaucoma and Is Management : ग्लूकोमा ऐसी बीमारी है जो धीरे धीरे विकसित होती है और इंसान की आंखों की रोशनी छीन लेती है. आयुर्वेद में इसे कंट्रोल करने के लिए कुछ इफेक्टिव तरीके बताए गए हैं.

धीरे-धीरे इंसान को अंधा बना देता है ग्लूकोमा, ये लक्षण इग्नोर न करें, इन जड़ी-बूटी से बचेगी आंख की रोशनी
चलिए जानते हैं कि ग्लूकोमा आंखों को कैसे नुकसान पहुंचाता है.

Ayurvedic Treatment of Glaucoma: आंखों को दुनिया में नियामत कहा गया है. आंखों की वजह से हम दुनिया की खूबसूरती देख पाते हैं. अगर आंखें कमजोर हो जाएं तो जिंदगी बहुत ज्यादा मुश्किल हो सकती है. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट सेहत के साथ साथ आंखों की भी पूरी तरह देखभाल करने की सलाह देते हैं. आंखों से जुड़ी एक खतरनाक बीमारी है ग्लूकोमा ((glaucoma Risks and Symptoms)) जो गंभीर हो आए तो अंधेपन का कारण भी बन सकती है. खतरे की बात ये है कि ग्लूकोमा का कोई इलाज नहीं है, ये धीरे धीरे आंखों की रोशनी पूरी तरह छीन लेता है और मरीज को अंधा बन सकता है. लेकिन समय रहते इसके लक्षणों को पहचान (glaucoma Symptoms) कर इसका मैनेजमेंट किया जा सकता है ताकि आंखों की रोशनी सलामत रहे. आयुर्वेद में ग्लूकोमा को कंट्रोल करने के लिए कुछ प्रभावी जड़ी बूटी (Ayurvedic Treatment for glaucoma) बताई गई हैं जो काफी मददगार साबित हो सकती हैं. चलिए जानते हैं कि ग्लूकोमा आंखों को कैसे नुकसान पहुंचाता है और इसके लक्षण क्या हैं. साथ ही जानेंगे उन जड़ी बूटियों के बारे में जिनकी मदद से ग्लूकोमा को नियंत्रित किया जा सकता है.

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क्या है ग्लूकोमा   (What is glaucoma)

हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि ग्लूकोमा आंखों की एक खतरनाक बीमारी है और इसे समय पर न पहचाना गया तो ये किसी को अंधा भी बना सकता है.ये बीमारी ऑप्टिक नर्व को धीरे धीरे नुकसान पहुंचाती है.  ग्लूकोमा के दो प्रकार होते हैं. पहला है ओपन एंगल ग्लूकोमा, ये ग्लूकोमा का सबसे प्रचलित प्रकार है और इस बीमारी के 90 फीसदी पीड़ित लोग इसी के शिकार होते हैं. इस कंडीशन में आंखों से लिक्विड पदार्थ निकलना कम हो जाता है और आंखों पर प्रेशर बनने लगता है. ग्लूकोमा का दूसरा प्रकार है एंगल क्लोजर ग्लूकोमा. ये पहले वाले टाइप से ज्यादा खतरनाक है लेकिन कम ही लोगों को होता है. इस कंडीशन में आंख के अंदर ही तरल पदार्थ अचानक जमा हो जाता है जिससे आंख पर अचानक और तेजी से प्रेशर बन जाता है.

ग्लूकोमा के रिस्क और लक्षण  (glaucoma Risks and Symptoms)

ओपन एंगल ग्लूकोमा के लक्षण कम ही दिखते हैं लेकिन एंगल क्लोजर ग्लूकोमा के लक्षण साफ दिखते हैं. इसके लक्षणों में आंखों में तेज दर्द होना, नजर धुंधली होना, रोशनी के चारों तरफ हल्के छल्ले दिखाई देना, सिर में दर्द, उल्टी और मतली , आंखों का लाल होना और कार्निया में सूजन आना शामिल हैं. ग्लूकोमा का सबसे बड़ा रिस्क ये है कि ये धीरे धीरे नजर को कमजोर करता है और आखिर में दिखना बंद हो जाता है. इसकी वजह से ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाती है जिसका कोई इलाज नहीं है.

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आयुर्वेद करेगा आंखों की हिफाजत  (Ayurvedic Tips for Eye Health)

1. हेल्दी डाइट
आयुर्वेद में कहा गया है कि ग्लूकोमा से बचने के लिए एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हेल्दी डाइट लेनी चाहिए.इसमें हरी सब्जियां, साबुत अनाज, मौसमी फल, नट्स और बीजों को एड किया गया है. ये संतुलित डाइट है जो आंखों की सेहत के लिए अच्छी कही जाती है.

2. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां
आयुर्वेद में कुछ जड़ी बूटियों का जिक्र है जो आंखों की सेहत और ऑप्टिक नर्व की सुरक्षा करने में काम आती हैं. इनमें पहली है त्रिफला जो आंखों की सेहत में सुधार लाती है. ये शरीर को भी डिटॉक्स करने में मदद करती है. दूसरी जड़ी बूटी है ब्राह्मी. ये आंखों की रोशनी सुधारने के साथ साथ दिमाग की सेहत को भी इंप्रूव करती है. तीसरी जड़ी बूटी है गिंकगो बिलोबा. ये ऑप्टिक नर्व को पोषण देती है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को स्मूथ करती है.
चौथी जड़ी बूटी है आंवला. आंवले में पाया जाने वाला विटामिन सी आंखों को ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से बचाता है.

3 आयुर्वेदिक व्यायाम
आयुर्वेद में आंखों की हिफाजत करने के लिए पल्मिंग एक्सरसाइज को कारगर बताया गया है. इसके अलावा आंखों को चारों ओर घुमा कर भी आंखों की थकान दूर की जा सकती है. इसके अलावा नस्य थेरेपी के जरिए भी ग्लूकोमा को मैनेज करने में मदद मिलती है. योग, ध्यान और प्राणायाम को भी आंखों की सेहत के लिए अच्छा बताया गया है. इससे तनाव कम होता है और आंखों की सेहत सुधरती है.

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