बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना जरूरी है
नई दिल्ली:
माता-पिता उस वक्त असमंजस में पड़ जाते हैं जब उनके बच्चे उनसे सेक्स या इससे जुड़े किसी मुद्दे पर सवाल पूछ लेते हैं. टीवी पर अगर कॉन्डोम या सैनिटरी नैपकिन का कोई विज्ञापन आ रहा हो और उस वक्त बच्चा कोई सवाल पूछ ले तो घर के बड़े चुपचाप वहां से चले जाने में ही भलाई समझते हैं. या चेहरे पर बिना कोई एक्सप्रेशन दिए टीवी चैनल बदल दिया जाता है. हमारे देश में आज भी सेक्स पर बात करना ठीक नहीं समझा जाता और यही वजह है कि यहां सेक्स एजुकेशन जैसी कोई चीज है ही नहीं.
बच्चों के सामने भूलकर भी न करें ये 6 चीजें
आज के समय में जहां इंटरनेट पर सूचनाओं की कोई कमी नहीं है ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वह सेक्स को कोई गुपचुप या रहस्यमयी चीज न बनाएं. माता-पिता की यह नैतिक जिम्मेदारी हे कि वे अपने बच्चों को सेक्स के बारे में बताएं. इससे न केवल आपका बच्चा ज्यादा जागरूक बनता है बल्कि भविष्य में उसके साथ किसी अनहोनी की आशंका भी कम हो जाती है.
अगर बच्चा आपसे कॉन्डोम के बारे में पूछे तो उसे इस तरह जवाब दीजिए:
चार साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए
विशेषज्ञ कहते हैं कि इस सवाल के जवाब में माता-पिता को बच्चों को बताना चाहिए कि ये एक कॉन्ट्रासेप्टिव है. और अगर बच्चा यह कहे कि उसे समझ नहीं आया तो उसे बताइए कि आप इसके बारे में डिटेल में तब बताएंगे जब वो अपने शरीर के तमाम अंगों के बारे में ठीक से जानने लगेगा. हालांकि माता-पिता को बच्चों से कभी ये नहीं कहना चाहिए कि ये बड़ों के समझने की बात है और तुम अभी छोटे हो इसे नहीं समझ पाओगे. इससे बच्चे उस चीज के बारे में और ज्यादा उत्सुक हो जाते हैं और फिर दूसरे तरीकों से जानकारी हासिल करने लगते हैं. और तरीके सही भी हो सकते हैं और गलत भी.
अब बच्चों की आंखें नहीं होंगी कमजोर, अगर करेंगे ये उपाय
पांच से नौ साल के बच्चों के लिए
विशेषज्ञों की राय में इस उम्र के बच्चों को बताना चाहिए कि यह एक कॉन्ट्रासेप्टिव है और इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब कपल्स बच्चा करना नहीं चाहते. अगर इसके बाद भी बच्चे सवाल करें तो हंसी-मजाक करने के बजाए उसी टोन में बात कीजिए जिस टोन में आपने पहले सवाल का जवाब दिया है. साथ ही उन्हें यह भी बताइए कि बच्चे कैसे पैदा होते हैं. ऐसे सवालों में बच्चों को डांटना, झिड़कना या दूर चले जाने के लिए कह देना बिलकुल भी सही नहीं है.
10 से 13 साल के बच्चों के लिए
जब 10 से 13 साल की उम्र के बच्चे स तरह के सवाल करते हैं ते आप उन्हें बताइए कि यह एक कॉन्ट्रोसेप्टिव है जो बर्थ कंट्रोल करने के काम आता है. आप चाहें तो डायग्राम की मदद से भी उन्हें कॉन्डोम के बारे में बता सकते हैं कि ये क्या है और कैसे काम करता है. हां, आपके बताने का अंदाज फ्रेंडली होने के साथ ही इंफॉर्मेशन देने वाला होना चाहिए. बच्चे की जिज्ञासा पर हैरानी जताने के बजाए उसे सेक्स और सेक्सुएलिटी के बारे में बताएं. याद रखिए कि बच्चे किशोरावस्था में कदम रख चुके हैं, ऐसे में उन्हें सपोर्ट करना आपकी जिम्मेदारी है. इस उम्र के बच्चों के साथ अंडस्टैंडिंग रवैया अपनाना और खुला दिमाग रखना बेहद जरूरी है. उनसे भूलकर भी ये मत कहिएगा कि जाओ इंटरनेट पर जाकर सर्च कर लो. क्योंकि इंटरनेट पर उनकी उम्र के लिए जरूरत से ज्यादा जानकारी भरी हुई है.
रोते हुए बच्चे को चुप कराने के 6 आसान तरीके
14 साल से ज्यादा उम्र वाले बच्चों के लिए
अगर 14 साल की उम्र तक भी आपके बच्चे ने आपसे कॉन्डोम के बारे में नहीं पूछा है तो आपको वक्त निकालकर उन्हें इसके बारे में एजुकेट करना होगा. इस उम्र में बच्चों के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं. साथ ही सेक्स की इच्छा और दूसरे लिंग के प्रति आकर्षण भी चरम पर होता है. अपने बच्चे से डिटेल में बात कीजिए और इस दौरान उन्हें सहज महसूस कराएं.
बहरहाल, माता-पिता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि सही समय पर सही उम्र में उन्हें सेक्स एजुकेशन दी जाए. इस टॉपिक पर उन्हें शिक्षित करने और सशक्त करने का यही सही तरीका है.
बच्चों के सामने भूलकर भी न करें ये 6 चीजें
आज के समय में जहां इंटरनेट पर सूचनाओं की कोई कमी नहीं है ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वह सेक्स को कोई गुपचुप या रहस्यमयी चीज न बनाएं. माता-पिता की यह नैतिक जिम्मेदारी हे कि वे अपने बच्चों को सेक्स के बारे में बताएं. इससे न केवल आपका बच्चा ज्यादा जागरूक बनता है बल्कि भविष्य में उसके साथ किसी अनहोनी की आशंका भी कम हो जाती है.
अगर बच्चा आपसे कॉन्डोम के बारे में पूछे तो उसे इस तरह जवाब दीजिए:
चार साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए
विशेषज्ञ कहते हैं कि इस सवाल के जवाब में माता-पिता को बच्चों को बताना चाहिए कि ये एक कॉन्ट्रासेप्टिव है. और अगर बच्चा यह कहे कि उसे समझ नहीं आया तो उसे बताइए कि आप इसके बारे में डिटेल में तब बताएंगे जब वो अपने शरीर के तमाम अंगों के बारे में ठीक से जानने लगेगा. हालांकि माता-पिता को बच्चों से कभी ये नहीं कहना चाहिए कि ये बड़ों के समझने की बात है और तुम अभी छोटे हो इसे नहीं समझ पाओगे. इससे बच्चे उस चीज के बारे में और ज्यादा उत्सुक हो जाते हैं और फिर दूसरे तरीकों से जानकारी हासिल करने लगते हैं. और तरीके सही भी हो सकते हैं और गलत भी.
अब बच्चों की आंखें नहीं होंगी कमजोर, अगर करेंगे ये उपाय
पांच से नौ साल के बच्चों के लिए
विशेषज्ञों की राय में इस उम्र के बच्चों को बताना चाहिए कि यह एक कॉन्ट्रासेप्टिव है और इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब कपल्स बच्चा करना नहीं चाहते. अगर इसके बाद भी बच्चे सवाल करें तो हंसी-मजाक करने के बजाए उसी टोन में बात कीजिए जिस टोन में आपने पहले सवाल का जवाब दिया है. साथ ही उन्हें यह भी बताइए कि बच्चे कैसे पैदा होते हैं. ऐसे सवालों में बच्चों को डांटना, झिड़कना या दूर चले जाने के लिए कह देना बिलकुल भी सही नहीं है.
10 से 13 साल के बच्चों के लिए
जब 10 से 13 साल की उम्र के बच्चे स तरह के सवाल करते हैं ते आप उन्हें बताइए कि यह एक कॉन्ट्रोसेप्टिव है जो बर्थ कंट्रोल करने के काम आता है. आप चाहें तो डायग्राम की मदद से भी उन्हें कॉन्डोम के बारे में बता सकते हैं कि ये क्या है और कैसे काम करता है. हां, आपके बताने का अंदाज फ्रेंडली होने के साथ ही इंफॉर्मेशन देने वाला होना चाहिए. बच्चे की जिज्ञासा पर हैरानी जताने के बजाए उसे सेक्स और सेक्सुएलिटी के बारे में बताएं. याद रखिए कि बच्चे किशोरावस्था में कदम रख चुके हैं, ऐसे में उन्हें सपोर्ट करना आपकी जिम्मेदारी है. इस उम्र के बच्चों के साथ अंडस्टैंडिंग रवैया अपनाना और खुला दिमाग रखना बेहद जरूरी है. उनसे भूलकर भी ये मत कहिएगा कि जाओ इंटरनेट पर जाकर सर्च कर लो. क्योंकि इंटरनेट पर उनकी उम्र के लिए जरूरत से ज्यादा जानकारी भरी हुई है.
रोते हुए बच्चे को चुप कराने के 6 आसान तरीके
14 साल से ज्यादा उम्र वाले बच्चों के लिए
अगर 14 साल की उम्र तक भी आपके बच्चे ने आपसे कॉन्डोम के बारे में नहीं पूछा है तो आपको वक्त निकालकर उन्हें इसके बारे में एजुकेट करना होगा. इस उम्र में बच्चों के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं. साथ ही सेक्स की इच्छा और दूसरे लिंग के प्रति आकर्षण भी चरम पर होता है. अपने बच्चे से डिटेल में बात कीजिए और इस दौरान उन्हें सहज महसूस कराएं.
बहरहाल, माता-पिता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि सही समय पर सही उम्र में उन्हें सेक्स एजुकेशन दी जाए. इस टॉपिक पर उन्हें शिक्षित करने और सशक्त करने का यही सही तरीका है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं