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Ganga Water Purity Test: देश की सबसे पवित्र नदियों (Rivers) में से एक मानी जाने वाली नदी गंगा (Ganga River) के पानी को लेकर अक्सर ही चिंताओं और चिंतन का दौर चलता है. गंगा जल को कैसे शुद्ध और साफ रखा जाए इसके लिए अलग अलग समय पर अलग अलग कोशिशें होती रही हैं. अब तो जल शक्ति मंत्रालय (Shakti Mantralay) के तहत गंगा नदी को सिरे से साफ करने को लेकर योजनाएं बन रही हैं. इस संबंध में आयोग पहले भी बन चुके हैं. इसी बीच एक शख्स ने गंगा जल की शुद्धता का टेस्ट किया है. हम ये भी कह सकते हैं कि गंगा जल (Ganga jal) कितना प्रदूषित है इस बात का टेस्ट किया है. जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं. उसके टेस्ट में क्या साबित हुआ वो भी जानते हैं साथ ही ये भी समझते हैं कि गंगा जल क्या वाकई पीने लायक है.
गंगा जल का प्योरिटी टेस्ट| Purity test Of Ganga Water
हरिद्वार से कलेक्ट किया पानी
इंस्टाग्राम पर आशु घई नाम के अकाउंट से ये रील वायरल हो रही है. इस रील में एक शख्स ने हरिद्वार से गंगा जल कलेक्ट किया है. आपको बता दें कि हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित एक पवित्र नगरी है. जहां गंगा नदी अपने पूरे वेग के साथ बहती हैं. इस शहर में बहुत से घाट हैं. खासतौर से हर की पौड़ी. जहां भक्तों का तांता लगता है. हजारों की संख्या में भक्त रोज यहां स्नान करते हैं. और, गंगाजल को पूजते भी हैं. इसी शहर के एक घाट से शख्स ने गंगा जल कलेक्ट किया और उसका टेस्ट किया. इस टेस्ट में उसे चौंकाने वाले नतीजे मिले.
साधारण माइक्रोस्कोप से की जांच
शख्स ने इस गंगा जल की शुद्धता को परखने के लिए सबसे पहले एक साधारण माइक्रोस्कोप के नीचे उसकी जांच की. ये साधारण माइक्रोस्कोप उसके घर में ही मौजूद था. शख्स ने गंगा जल को जब माइक्रोस्कोप से देखा तो हैरान रह गया. क्योंकि, गंगा जल में कोई भी किटाणु या अशुद्धता नजर नहीं आई. इसके बाद शख्स ने फैसला किया कि वो गंगा जल की जांच स्ट्रॉन्ग माइक्रोस्कोप से करवाएगा. इस के लिए वो गंगा जल को हॉस्पिटल की लैब में लेकर गया. वहां के ज्यादा बेहतर माइक्रोस्कोप में गंगा जल को टेस्ट किया गया है. हैरानी की बात ये थी कि गंगा जल उस टेस्ट में भी पास हो गया.
चार दिन किया कल्चर
इसके बाद भी गंगा जल का परीक्षण जारी रखा गया. अस्पताल की लैब में ही गंगा जल को चार दिन कल्चर करने के लिए रखा गया. उसके बाद फिर से स्ट्रॉन्ग माइक्रोस्कोप के नीचे गंगा जल को जांचा गया. इसके बाद जो नतीजे सामने आए वो हैरान करने वाले थे. क्योंकि गंगा जल को चार दिन कल्चर करने के बाद भी उसमें कोई भी अशुद्धता नजर नहीं आई.
क्या गंगा जल को सीधे पिया जा सकता है?
इस वीडियो को देखने के बाद ये सवाल उठता है कि क्या गंगा जल को सीधे नदी से लेकर पिया जा सकता है. आपको बता दें कि गंगा जल भले ही माइक्रोस्कोप के नीचे शुद्ध दिख रहा है. लेकिन इसे सीधे पिया नहीं जा सकता. उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की नवंबर मंथ की रिपोर्ट के मुताबिक हरिद्वार में गंगा का पानी ‘बी' क्लास का है. इसमें Coliform नाम का तत्व 120 MPN पाया गया है. जिसका मतलब ये है कि गंगा का पानी नहाने योग्य तो है लेकिन डायरेक्टली पीने लायक नहीं है. हालांकि ये भी सही है कि गंगा जल के पॉल्यूशन में बीते पांच सालों में काफी गिरावट आई है. पहले गंगा में इतना ज्यादा प्रदूषण था कि इसे सी क्लास में रखा जाता था. लेकिन अब हालात काफी बेहतर हैं. आपको बता दें कि उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड हर महीने गंगा जल की जांच करता है. इसके लिए हरिद्वार में अलग अलग स्थानों से पानी कलेक्ट किया जाता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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