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बच्‍चे को लाइट या आवाज वाले ख‍िलौने दे रहे हैं आप तो ठहर जाइए, डॉक्‍टर ने बताया बेबी के द‍िमाग पर पड़ सकता है असर

Parenting Tips: पीडियाट्रिशियन बताते हैं, रंग-बिरंगे, शोर-शराबे वाले खिलौने आपके बच्चे के दिमागी विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे-

बच्‍चे को लाइट या आवाज वाले ख‍िलौने दे रहे हैं आप तो ठहर जाइए, डॉक्‍टर ने बताया बेबी के द‍िमाग पर पड़ सकता है असर
आपके बच्‍चे का डेवलपमेंट रोक सकते हैं कुछ खिलौने

Parenting Tips: बच्चों का ध्यान भटकाने के लिए अक्सर मां-बाप उन्हें खिलौने दे देते हैं. आज के समय में बाजार में अलग-अलग तरह के फैंसी खिलौने मिलने लगे हैं, जो चमकते हैं, आवाज करते हैं, हिलते-डुलते हैं और बच्चों का ध्यान आकर्षित करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ध्यान भटकाने का ये तरीका आपके लाडले के दिमाग पर बेहद खराब असर डाल सकता है? 

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मामले को लेकर पीडियाट्रिशियन पुनीत आनंद ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में डॉक्टर बताते हैं, रंग-बिरंगे, शोर-शराबे वाले खिलौने आपके बच्चे के दिमागी विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे-

नंबर 1- जरूरत से ज्यादा उत्तेजना (Overstimulation)

पीडियाट्रिशियन के मुताबिक, खिलौनों से निकलने वाली चमकदार रोशनी, तेज आवाज और लगातार गतिविधि एक छोटे बच्चे के नाजुक तंत्रिका तंत्र को बहुत अधिक उत्तेजित कर सकते हैं. इससे बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है, उसे सोने में परेशानी हो सकती है और उसकी सीखने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है.

नंबर 2- पैसिव प्ले (Passive Play)

डॉक्टर बताते हैं, ऐसे खिलौनों में पहले से सब कुछ तय होता है. एक बटन दबाते ही आवाज आती है या रोशनी जलने लगती है. ऐसे में बच्चा इन्हें केवल देखता है, सुनता है, लेकिन सोचता नहीं है. इससे उसकी कल्पनाशक्ति और समस्या सुलझाने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती है.

नंबर 3- भाषा सिखने में कमी (Less Language Learning)

डॉक्टर आनंद के मुताबिक, छोटे बच्चे लोगों की आवाज से भाषा सीखते हैं, न कि खिलौनों की रिकॉर्डेड आवाजों से. जब माता-पिता बच्चों से बातचीत करते हैं, कहानियां सुनाते हैं या गाना गाते हैं, तो बच्चे नए शब्द सीखते हैं और बातचीत करने की शुरुआत करते हैं. 

नंबर 4- कम फोकस  (Short Attention Span)

लगातार तेज आवाज और रोशनी से बच्चों का ध्यान थोड़े समय में बार-बार बंटता है. इससे वे लंबे समय तक किसी एक एक्टिविटी में ध्यान नहीं लगा पाते. यह आदत भविष्य में उनकी पढ़ाई और फोकस को प्रभावित कर सकती है. 

नंबर 5- खेल से दूरी (Missed Natural Play)

इन सब से अलग डॉक्टर कहते हैं, आम खिलौने जैसे लकड़ी के ब्लॉक, कपड़े की गुड़िया या खाली डिब्बे, बच्चों को खोजने, छूने, महसूस करने और समझने का मौका देते हैं, जिससे उनका ब्रेन में मजबूत कनेक्शन बनाता है. लाइट या खुद से चलने वाले खिलौने के साथ ऐसा नहीं हो पाता है.

तो क्या करें?
  • महंगे और इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों की बजाय डॉक्टर सिंपल खिलौनों को चुनने की सलाह देते हैं. 
  • इससे अलग आप खिलौने देने की बजाए अपने बच्चे के साथ बात करें, आंखों में देख कर मुस्कुराएं, कहानियां सुनाएं और उन्हें अपने आसपास की दुनिया को छूने और महसूस करने दें.
  • पीडियाट्रिशियन के मुताबिक, बच्चों को स्मार्ट और शांत दिमाग की जरूरत होती है. इसके लिए सबसे जरूरी चीज आप हैं. आपका साथ, आपकी आवाज और आपकी उपस्थिति ही उनके लिए सबसे बड़ा खिलौना है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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