जिन लोगों का मानना है कि ई-सिगरेट से सेहत को कोई नुकसान नहीं होता है तो वो जान लें कि ई-सिगरेट आम सिगरेटों के बराबर खतरनाक होती है. ऐसा विशेषज्ञों का कहना है. एक्सपर्ट्स ने कहा कि राज्यों को ई-सिगरेट पर लगाम लगाने के लिए कहने वाला सरकार का हाल का परामर्श शायद पर्याप्त नहीं है. उन्होंने इस उपकरण पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करने के ‘‘विशेष तंत्र'' की वकालत करते हुए कहा कि कई उपभोक्ता इसे जलने वाली सिगरेट के बजाय ज्यादा सुरक्षित विकल्प के रूप में मानते हैं जो कि गलत राय है.
विशेषज्ञों ने ई-सिगरेट को आम सिगरेटों की तरह जहरीला और खतरनाक बताते हुए कहा कि केंद्र और राज्य ने प्रयास किए हैं लेकिन चोरी छिपे चल रहे ऑनलाइन पोर्टल और दुकानें देशभर के गली-नुक्कड़ों पर इन्हें बेच रही हैं.
हेलिस-सेखसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, मुंबई के निदेशक डॉ. पी सी गुप्ता ने से कहा, ‘‘बेशक राज्यों को ई-सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने के लिए जारी सरकार का परामर्श उनके अधिकार क्षेत्र में आता है लेकिन अगर छोटे विक्रेताओं के जरिए इनकी बिक्री हो रही है तो उसकी जांच करना बहुत मुश्किल है.''
उन्होंने कहा, ‘‘समय-समय पर विक्रेताओं पर नजर रखने के लिए सरकार को एक विशेष तंत्र बनाने की जरुरत है.''
वालन्टरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वीएचएआई) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी भावना बी मुखोपाध्याय ने कहा, ‘‘ई-सिगरेट निकोटिन देने का एक आकर्षक तरीका है. वे इसे कम नुकसान पहुंचाने वाले उत्पाद के रूप में बताते हैं जो कि सच्चाई से अलग है. ये तंबाकू उत्पादन, वितरण पर मौजूदा राष्ट्रीय कानून के दायरे में नहीं आते और इनका इस्तेमाल स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा करता है जो कि पारंपरिक सिगरेटों के बराबर ही खतरनाक है.''
उन्होंने बताया कि 12 राज्यों ने पहले ही ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया है और इस पर पूर्ण प्रतिबंध की जरुरत है.
इनपुट - भाषा
VIDEO: अवैध सिगरेट के पैकेटों पर चेतावनी नहीं
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं