जरूरत से ज्‍यादा खुराफात पड़ सकती है भारी

जरूरत से ज्‍यादा खुराफात पड़ सकती है भारी

नयी दिल्‍ली:

कुछ नया जानने की इच्‍छा हर व्‍यक्ति में होती है। इसे अक्सर आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है लेकिन यह अभिशाप भी बन सकती है। एक नए अध्ययन के अनुसार, जानने की इच्छा कभी-कभी इतनी ज्यादा प्रबल होती है कि इससे लोग संभवत: ऐसे कष्टदायक एवं अरुचिकर परिणाम चुनने के लिए बाध्य हो जाते हैं जिसका कोई लाभ नहीं होता। ऐसा तब भी होता है जब उनमें इस तरह के परिणामों से पूरी तरह बचे रहने की क्षमता होती है।

जिज्ञासा बड़ा सकती है परेशानियां
अमेरिका के विस्कॉनसिन-मेडिसन विश्वविद्यालय के इस अध्ययन के लेखक बोवेन रुआन ने कहा, "सिर्फ जिज्ञासा ही थी जिसकी वजह से पेंडोरा ने बक्से के अंदर हानिकारक सामग्री होने की चेतावनी के बावजूद उसे खोला। हानिकारक परिणाम की भविष्यवाणी होने के बावजूद कोई जिज्ञासा आपको और मेरी तरह के व्यक्ति को लालच में फंसा सकती है।" यूनानी दंत कथा के मुताबिक, पेंडोरा वह पहली महिला है जो परेशानियों एवं दुखों से भरे बक्से के साथ दंडस्वरूप मनुष्य को मिली और इंसान की परेशानियां शुरू हुईं।

अनिश्चितता को खत्म करती है जिज्ञासा
अध्ययन से पता चला कि जिज्ञासा आदमी के अंदर की अनिश्चितता को खत्म करने की इच्छा से पैदा होती है। इससे कितना नुकसान हो सकता है, इसकी परवाह नहीं की जाती है। कई बार महिला या पुरुष बाद के परिणाम पर विचार किए बगैर अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए जानकारी पाना चाहते हैं। यह अध्ययन 'साइकोलॉजिकल साइंस' नाम पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन दल ने कल्पना से तैयार किए गए विभिन्न प्रयोग किए और प्रतिभागियों को विशेष तौर पर विभिन्न तरह के अप्रिय परिणामों से अवगत कराया।

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शोध ने किया हैरान
एक अध्ययन में कॉलेज के 54 छात्रों को बिजली के झटके देने वाली कलम दिखाई गई और जब वे अध्ययन के असली काम के शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, तब उनसे कहा गया कि समय बिताने के लिए वे उन कलम का इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ प्रतिभागियों को रंगीन पेन दी गईं। पांच कलम लाल स्टिकर वाली थीं। इनसे झटका लगता। जबकि पांच, जिनसे झटका नहीं लगता, हरे स्टिकर वाली थीं। इसका अर्थ था कि छात्रों को यह पता था कि जब वे पेन को दबाएंगे तो क्या होगा। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने 10 पेन ऐसे भी रखे जिन पर पीले रंग का स्टिकर लगा था। प्रतिभागियों को कहा गया कि कुछ पेन में बैटरी लगी है, जबकि कुछ में नहीं है। इस स्थिति में हर पेन का परिणाम निश्चित नहीं था। अध्ययन से पता चला कि जो प्रतिभागी परिणाम नहीं जानते थे, उन्होंने औरों से अधिक, करीब पांच पेन दबाएं। जबकि जो परिणाम जानते थे उन्होंने एक हरा और दो लाल पेन को दबाया।