How to make communication skills effective: डिप्लोमेटिक टॉक हो, कॉरपोरेट डील हो, पॉलिटिक्स हो या फिर आम लोगों की बातचीत आजकल दुनिया भर में कम्युनिकेशन स्किल (communication skills) की हाई डिमांड है. अपने कम्यूकेशन स्किल को डेवलप (Personality development) कर आप भी हर तरफ जादू कर सकते हैं. बातचीत के बेहतर तरीके आजमाने से कामयाबी का रास्ता भी आसान हो जाता है. आइए, जानते हैं कि किन आसान रूल्स को फॉलो करने से अपने कम्युनिकेशन स्किल को न सिर्फ सुधारा जा सकता है, बल्कि उसको और बढ़ाया जा सकता है. आप भी इन टिप्स के साथ कम्यूनिकेशन स्किल सुधार सकते हैं.
माता-पिता अपने बच्चे की परवरिश में ना करें ये 5 गलतियां- सामने वाले की आंखों में आंख डालकर बातें करें. हां, इसका ख्याल रखें कि आप सामने वाले शख्स को घूरते हुए नहीं देखें. आंखों के कनेक्शन ने बातों का भी ज्यादा असर होता है. क्योंकि सामने वाले का ध्यान इधर-उधर नहीं भटकता. दोनों ही लोगों का पूरा फोकस बातचीत पर ही होता है.
- किसी भी लेवल की मीटिंग या बातचीत हो आप आत्मविश्वास के साथ अपनी शुरुआत करें. सामने वाले के प्रभाव में आने से बचें और कॉन्फिडेंस के साथ बिना घबराएं अपनी बातें रखें. इसका नतीजा बेहतर आता है.
- चेहरे पर प्यारी सी स्माइल के साथ बातचीत की शुरुआत करने से माहौल खुशनुमा और दोस्ताना हो जाता है. इससे बातचीत पॉजिटिव रुख लेती है और अपने मकसद में कामयाबी की ओर बढ़ती है. क्योंकि हल्की सी मुस्कुराहट आपकी ओर सामने वाले का इंटरेस्ट बढ़ा देता है.
- दूसरे को पहले बोलने देने और उन्हें ध्यान से सुनने से बातचीत में गंभीरता आती है. इसके बाद सामने वाला भी आपकी बातों को पूरा फोकस होकर सुनता और समझने की कोशिश करता है.
- बातचीत को बेहद बोझिल बनाने से बचना चाहिए चाहे कितना भी गंभीर मसला क्यों न हो. सामने वाले के लिए दोस्त जैसा नजरिया लेकर बात शुरू करने पर सक्सेस के सौ फीसदी चांस हो जाते हैं. क्योंकि सामने वाला ज्यादा देर तक बातचीत में दिलचस्पी लेता है और मीटिंग अच्छे नतीजे पर कंप्लीट होता है.
- मीटिंग या बातचीत के दौरान बीच-बीच में हल्की-फुल्की बातों या मजाक करने से बोर होने से बचा जा सकता है. मगर ध्यान रहे मजाक लंबा नहीं खींचना चाहिए. जितनी जल्दी हो बैक टू द प्वाइंट करना चाहिए.
- तनाव और दबाव में बातचीत करने से परहेज करें. अगर ऐसी परिस्थिति हो भी तो सामने वाले को जाहिर न करें. नहीं तो बातचीत नेगेटिविटी से भर जाएगी और उसका रिजल्ट भी सही नहीं आ पाएगा. तनाव या दबाव में हुई बातचीत में दोनों ही लोग थक जाते हैं.
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