
Kitchen Hacks: जब भी आलू-प्याज जैसी सब्जियां काटी जाती हैं तो उनके छिलके तुरंत छीलकर फेंक दिए जाते हैं. कुछ लोग तो इन छिलकों को पौधों में खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं या फिर जानवरों को खिला देते हैं, लेकिन बहुत से लोग ये छिलके सीधा उठाकर कूड़ेदान में डाल देते हैं. इसपर न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन का कहना है कि यह एक बड़ी गलती है. ऐसी कई सब्जियां हैं जिनके छिलके बेहद फायदेमंद होते हैं और सेहत को इनसे कई पोषक तत्व भी मिलते हैं. इन्हीं में आलू भी शामिल है. आइए न्यूट्रिशनिस्ट से ही जानते हैं आलू के छिलके (Potato Peels) खाने के फायदों के बारे में.
आलू के छिलके खाने के फायदे | Benefits Of Eating Potato Peels
न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन का कहना है कि आलू (Potato) से ज्यादा उसके छिलके फाइबर, आयरन और पौटेशियम के स्त्रोत होते हैं. इन छिलकों में तीन गुना ज्यादा आयरन होता है, ज्यादा पौटेशियम भी होता है और साथ ही इनमें 20 गुना ज्यादा एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं. आलू के छिलकों में क्लोरोजेनिक एसिड होता है जोकि एक पावरफुल एंटी-ऑक्सीडेंट है. ऐसे में आलू के छिलकों को फेंकने के बजाय खानपान में शामिल करना चाहिए यानी कि छिलका समेत आलू को पकाकर खाना चाहिए जिससे शरीर को इसके पूरे फायदे मिल सकें. आलू की सब्जी हो या फिर किसी दाल में आलू डालना हो, इसे छिलके के साथ खाया जा सकता है.
मूंगफली भी खाएं छिलके के साथमुंगफली भी उन फूड्स में शामिल है जिन्हें लोग अक्सर ही छिलके के बिना खाते हैं. लेकिन, मूंगफली का छिलका भी एक नहीं बल्कि कई गुणों से भरपूर होता है. मूंगफली के छिलके की यह लाल-भूरी परत यानी छिलका रेस्वेराट्रोल का पावरहाउस होता है जोकि एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो रेड वाइन में भी पाया जाता है. वहीं, मूंगफली के छिलके में मूंगफली से तीन गुना ज्यादा एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं. ये छिलके फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज करते हैं जिससे एजिंग प्रोसेस धीमा होता है. मूंगफली को छिलका समेत खाया जाए तो इससे दिल और स्किन की सेहत अच्छी रहती है.
धनिया की डंडी
अक्सर ही धनिया की डंडी या कहें डंठल को भी लोग काटकर फेंक देते हैं और सिर्फ धनिया के पत्तों का सेवन करते हैं. लेकिन, न्यूट्रिशनिस्ट बताती हैं कि धनिया के डंठलों (Coriander Stems) में भरपूर फ्लेवर होता है, इनमें क्लोरॉफिल की अत्यधिक मात्रा होती है, फाइबर होता है, पॉलीफेनॉल्स होते हैं और एसेंशियल ऑयल्स पाए जाते हैं. इन डंडियों को खाया जाए तो इनसे पाचन बेहतर होता है और इंफ्लेमेशन कम होने में मदद मिलते ही. इसके अलावा, पत्तियों की तरह ही इन डंडियों का भी तेज अरोमा होता है जिससे खाने का स्वाद कई गुना तक बढ़ जाता है. इसीलिए कचरा समझकर इन चीजों को फेंकने के बजाय इन्हें खानपान में शामिल करना ज्यादा फायदेमंद होता है.
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