क्यों मनाते हैं अप्रैल फूल दिवस? कैसे हुई इसकी शुरुआत
नई दिल्ली:
1st अप्रैल, इस दिन को पूरे विश्व में अप्रैल फूल-डे के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को बेवकूफ बनाते हैं. फनी प्रैंक्स खेलते हैं और हल्के-फुल्क जोस्क से अपनों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं. लेकिन बहुत ही कम लोगों को मालूम है कि आखिर यह दिन क्यों मनाया जाने लगा और 1st अप्रैल तारीख से आखिर इसका नाता क्या है! यहां आपको बता रहे हैं कि कैसे यह दिन अप्रैल फूल दिवस के रुप में मनाया जाने लगा.
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कब हुई अप्रैल फूल की शुरुआत?
अप्रैल फूल से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं. इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1 अप्रैल के दिन कई फनी घटनाएं हुई, जिसके चलते इस दिन को अप्रैल फूल-डे के तौर पर मनाया जाने लगा. जैसे 1539 में फ्लेमिश कवि 'डे डेने' ने एक अमीर आदमी के बारे में लिखा जिसने 1 अप्रैल को अपने नौकरों को मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए बाहर भेजा. 1 अप्रैल 1698 को कई लोगों को "शेर की धुलाई देखने" के लिए धोखे से टावर ऑफ लंदन में ले जाया गया. लेखक कैंटरबरी टेल्स (1392) ने अपनी एक कहानी 'नन की प्रीस्ट की कहानी' में 30 मार्च और 2 दिन लिखा, जो प्रिंटिंग में गलती के चलते 32 मार्च हो गई, जो असल में 1 अप्रैल का दिन था. इस कहानी में एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था. इस गलती के बाद कहा जाने लगा कि लोमड़ी ने 1 अप्रैल को मुर्गे को बेवकूफ बनाया. वहीं, अंग्रेजी साहित्य के महान लेखक ज्योफ्री चौसर का 'कैंटरबरी टेल्स (1392)' ऐसा पहला ग्रंथ है जहां 1 अप्रैल और बेवकूफी के बीच संबंध जिक्र किया गया था.
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ऐसे तमाम किस्से हैं जिस वजह से पहली अप्रैल को बहुत फनी काम हुए और तो कुछ प्लैन किए गए, जिस वजह से 1 अप्रैल को अप्रैल फूल-डे के तौर पर मजेदार तरीके से सेलिब्रेट किया जाने लगा.
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