
Leech Therapy: लीच थेरेपी के बारे में बहुत से लोगों ने नहीं सुना होगा मगर इसका इस्तेमाल लोग लंबे समय से करते आ रहे हैं. कई बीमारियों को दूर भगाने में लोग लीच थेरेपी (Leech Therapy Benefits) का इस्तेमाल करते हैं. लीच (How Leech Therapy Works) एक हीमेटोफैगस जीव है. जिसकी लार में कुछ ऐसे एक्टिव कंपोनेंट होते हैं जो शरीर को कई घातक बीमारियों से बचा सकते हैं. ये कंपाउंड्स कई बीमारियों के इलाज में भी यूज होते हैं. लीच हमारे शरीर में गंदे खून (Leech therapy in Ayurveda) पर ही काम करती है और उसे चूसकर बाहर निकाल देती है. आइए आपको बताते हैं कि लीच थेरेपी किन-किन बीमारियों में काम करती है.
कैसे होती है लीच थेरेपी (How Leech Therapy Works)
- इस थेरेपी में जब शरीर पर इसे लगाया जाता है तो ये वहां चिपक जाती है जहां पर गंदा खून होता है.
- 15-20 मिनट में ये शरीर से गंदा खून चूसती है और मोटी होती जाती है.
- जब वो गंदा खून चूस लेती है तो उसके बाद अपने आप साइड हो जाती है.
- गांठ, ट्यूमर और सिस्ट जैसी बीमारियों के लिए लीच थेरेपी बहुत कारगर है.
लीच थेरेपी के फायदे (Leech Therapy Benefits on Body)
1- लीच थेरेपी का इस्तेमाल लोग हार्ट की बीमारी के उपचार के तरीके से भी करते हैं. इसकी लार में खून को पतला करने के गुण होते हैं. ये शरीर में ब्लड क्लॉट नहीं जमने देती है. साथ ही ब्लड सर्कुलेशन और हाइपरलेग्जिया को सुधारने में मदद कर सकती है.
2- लीच थेरेपी की मदद से शरीर से सूजन भी कम की जा सकती है. ये पैर से दर्द और सूजन को आसानी से कम कर देती है. साथ ही पैर की स्किन के कलर में भी सुधार होता है. जब आप लीच थेरेपी करवाते हैं तो इससे पैर की नसों में खून के थक्के नहीं बनते हैं. जिससे आप ज्यादा चल पाते हैं. पैर की सूजन दूर करने के लिए थेरेपी के दौरान 4-6 लीच का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रोसेस को कई बार किया जाता है. तब जाकर दर्द और सूजन कम होती है.
3- लीच थेरेपी की मदद से डायबिटीज को भी कंट्रोल किया जा सकता है. लीच की लार में हिरूडिन नाम का पेप्टाइड होता है जो ब्लड फ्लो को बेहतर बनाता है. जिसकी मदद से शरीर में खून के थक्के नहीं जमते हैं. इससे डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है.
4- स्टडी की माने तो लीच थेरेपी ऑस्टियो अर्थराइटिस के उपचार में मदद मिलती है. इसकी लार में हीरुडिन पेप्टाइड होता है जो गठिया रोग में आने वाली सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिलती है. गठिया के रोगी अगर हफ्ते में एक बार लीच थेरेपी करते हैं तो इससे उनकी तबीयत में काफी सुधार देखने को मिलता है.
5- लीच थेरेपी का इस्तेमाल कान के लिए भी किया जा सकता है. ये कान की सूजन को कम करती है. स्टडी के मुताबिक कान के लिए थेरेपी में 2 लीच का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक लीच कान के पीछे और दूसरी सामने की तरफ रखी जाती है. इस थेरेपी के हफ्ते में दो बार करने से सुधार आराम से देखा जा सकता है. इससे आपके सुनने की क्षमता में भी काफी सुधार देखने को मिलता है.
6- लीच दांतों के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होती है. लीच में डेस्टेबिलस नाम का प्रोटीन पाया जाता है. जिसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. ये थेरेपी दांत के इंफेक्शन को दूर करने में मदद करती है. दांतों के साथ लीच इम्यून सिस्टम को भी इंफेक्शन से बचाती है. इस तरह से कई बीमारियों को लीच थेरेपी की मदद से दूर किया जा सकता है. ये थेरेपी लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है.
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