Healthy Tips: आजकल की जीवनशैली में नींद की कमी आम होती जा रही है. रात-रातभर लोग फोन चलाते हैं, दोस्तों से बातें या फिर सोशल मीडिया स्क्रोल करते हैं, रील्स और बिंज वॉच करते हुए शोज देखते हैं जिससे नींद बुरी तरह प्रभावित होती है. 12 बजे से पहले ना सोना तो एक तरह से ट्रेंड बन चुका है. वहीं, लोगों को अगली सुबह कॉलेज या ऑफिस भी निकलता होता है जिससे सुबह जल्दी उठना मजबूरी है. लेकिन, रोज-रोज पूरी नींद ना लेना और आधी नींद (Sleep Deprivation) में ही दिन काटना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. इस एक आदत से ना सिर्फ शरीर अंदरूनी रूप से बल्कि बाहरी रूप से भी प्रभावित होने लगता है. यहां जानिए नींद की कमी से सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं.
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नींद की कमी से होने वाले नुकसान | Side Effects Of Sleep Deprivation
रोग प्रतिरोधक क्षमता हो जाती है कमजोरनींद की कमी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बुरी तरह प्रभावित करती है. व्यक्ति पूरी नींद नहीं लेता तो उसे इंफेक्शंस और बीमारियां होने का खतरा ज्यादा रहने लगता है. व्यक्ति को नींद की कमी के चलते श्वसन तंत्र की दिक्कतें जल्दी घेरती हैं.
दिल की सेहत पर पड़ता है असरकार्डियोवस्कुलर हेल्थ यानी दिल की सेहत को भी नींद की कमी प्रभावित करती है. पूरी नींद ना लेने पर ब्लड प्रेशर पर असर पड़ता है, शुगर लेवल्स बिगड़ जाते हैं, इंफ्लेमेशन होने लगती है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
बढ़ सकता है वजननींद की कमी (Sleeplessness) भूख लगने के हार्मोंस को प्रभावित करती है जिससे इंसुलिन पर भी असर पड़ता है. इससे शरीर में फैट स्टोरेज बढ़ सकता है. अगर रोज-रोज ही व्यक्ति की नींद पूरी ना हो तो इससे उसके वजन में इजाफा नजर आने लगता है.
मस्तिष्क पर पड़ता है असरदिमाग की सेहत बिगड़ने में भी नींद की कमी का हाथ हो सकता है. नींद की कमी दिमाग के कई हिस्सों को प्रभावित करती है. इससे व्यक्ति को चीजें याद रखने में भी दिक्कत होती है और साथ ही लर्निंग प्रोसेस पर भी प्रभाव देखने को मिलता है. इससे व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में भी कठिनाई होने लगती है.
बिगड़ जाता है बैलेंसपूरी नींद ना लेने पर व्यक्ति का बैलेंस बिगड़ने लगता है. इससे शरीर का अंदरूनी कोर्डिनेशन भी प्रभावित होता है. व्यक्ति अचानक ही कहीं भी गिर सकता है.
मूड रहता है खराबनींद की कमी व्यक्ति के मूड (Mood) को भी कई तरह से प्रभावित करती है. इससे व्यक्ति कभी ज्यादा इमोशनल, कभी चिड़चिड़ा, कभी गुस्सैल और कभी एंजाइटी भी महसूस कर सकता है. साथ ही, ऐसे लोगों में अवसाद के लक्षण भी देखे जाते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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