विज्ञापन
This Article is From Oct 25, 2017

चीन के बाद ये है दुनिया की दूसरी सबसे लम्बी दीवार, कहते हैं द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया

विश्व की सबसे लंबी दीवार द ग्रेट वाल आफ चाइना के बारे में सभी जानते है, लेकिन दूसरी सबसे लम्बी दीवार के बारे में कम लोग ही जानते है. यह दीवार है मेवाड़ के कुंभलगढ़ फोर्ट में.

चीन के बाद ये है दुनिया की दूसरी सबसे लम्बी दीवार, कहते हैं द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया
चीन के बाद ये है दुनिया की दूसरी सबसे लम्बी दीवार, जो राजस्थान में है.
नई दिल्ली: विश्व की सबसे लंबी दीवार द ग्रेट वाल आफ चाइना के बारे में सभी जानते है, लेकिन दूसरी सबसे लम्बी दीवार के बारे में कम लोग ही जानते है. यह दीवार है मेवाड़ के कुंभलगढ़ फोर्ट में. ग्यारह सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस फोर्ट के परकोटे की दीवार 36 किलोमीटर लंबी है. यह दीवार पंद्रह फीट चौड़ी है. इस पर एक साथ दस घोड़े दौड़ सकते हैं.

पढ़ें- ऑस्ट्रेलियाई पर्यटकों ने कहा, दिल्ली और मुंबई से अधिक शांतिपूर्ण है कश्मीर​

क्या है खासियत...
- इस फोर्ट का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था. इसके निर्माण में 15 साल (1443-1458) लगे थे.
- फोर्ट में ऊंचे स्थानों पर महल, मंदिर व आवासीय इमारतें बनाई गई और समतल भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए किया गया.
- यह फोर्ट सात विशाल द्वारों व सुदढ़ प्राचीरों से सुरक्षित है. इसके उपरी भाग में बादल महल है व कुम्भा महल सबसे ऊपर है. 
- यहीं पर पृथ्वीराज और महाराणा सांगा का बचपन बीता था. महाराणा उदय सिंह को भी पन्ना धाय ने इसी दुर्ग में छिपा कर पालन पोषण किया था.
- हल्दी घाटी के युद्ध में हार के बाद महाराणा प्रताप भी काफी समय तक इसी दुर्ग में रहे.

देखें PHOTOS-

kumbhalgarh fort
kumbhalgarh fort
kumbhalgarh fort
kumbhalgarh fort

दीवार के लिए संत ने खुद दी थी बलि
ऐसा कहा जाता है कि 1443 में राणा कुम्भा ने इसका निर्माण शुरू करवाया पर निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ पाया, निर्माण कार्य में बहुत अड़चनें आने लगी. राजा इस बात पर चिंतित हो गए और एक संत को बुलाया. संत ने बताया यह काम तभी आगे बढ़ेगा जब स्वेच्छा से कोई मानव बलि के लिए खुद को प्रस्तुत करे.

पढ़ें- भारत के लिए अच्छी खबर, चेन्नई-कोलकाता सहित 6 शहर दुनिया के 100 शीर्ष पर्यटक स्थलों में शामिल

राजा इस बात से चिंतित होकर सोचने लगे कि आखिर कौन इसके लिए आगे आएगा. तभी संत ने कहा कि वह खुद बलिदान के लिए तैयार है. संत ने कहा कि उसे पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां वो रुके वहीं उसे मार दिया जाए और वहां एक देवी का मंदिर बनाया जाए.

पढ़ें- PHOTOS: भारत के 5 सबसे खतरनाक रास्ते, हलक में अटकी रहती है सांस

ठीक ऐसा ही हुआ और वह 36 किलोमीटर तक चलने के बाद रुक गया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया गया. जहां पर उसका सिर गिरा वहां मुख्य द्वार हनुमान पोल है और जहां पर उसका शरीर गिरा वहां दूसरा मुख्य द्वार है. महाराणा कुंभा के रियासत में कुल 84 किले आते थे जिसमें से 32 किलों का नक्शा उसके द्वारा बनवाया गया था. कुंभलगढ़ भी उनमें से एक है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com