प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
झारखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को शिक्षक दिवस (Teacher's Day 2018) के मौके पर शिक्षकों को बड़ा तोहफा देते हुए 33 वर्ष से भी अधिक समय से बिना वेतन के काम कर रहे प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय के 226 शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों को बकाया वेतन के साथ सरकारी सेवा में नियमित करने के राज्य सरकार को आदेश दिये. सरकार ने जब दशकों से इनकी सुनवाई नहीं की तो आखिर प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय के 226 शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों को शिक्षक दिवस पर झारखंड उच्च न्यायालय ने यह शानदार तोहफा दिया.लगभग तीस वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद प्रोजेक्ट शिक्षकों की मांगे मान ली गई.
न्यायमूर्ति डॉ. एसएन पाठक की पीठ ने बुधवार को अपने आदेश में इनको दो माह में नियमित करने व बकाया वेतन भुगतान करने का राज्य सरकार को आदेश दिया. वर्ष 1985 से प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय के शिक्षक बिना वेतन के काम रहे थे.याचिकाकर्ताओं ने बताया कि सरकार ने जब इनकी नहीं सुनी तो 226 शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर नियमित करने व बकाया भुगतान की मांग की. पूर्व में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद
कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
वास्तव में बिहार सरकार ने अपनी एक योजना के तहत प्रोजेक्ट विद्यालयों में 1981 से लेकर 1985 तक लगभग 650 शिक्षकों की चार चरणों में बहाली की थी. बिहार में वर्ष 81-82 में नियुक्ति हुए शिक्षकों को नियमित कर दिया
गया. शेष शिक्षकों को छोड़ दिया गया और उन्हें नियमित नहीं किया गया. 1989 में पटना उच्च न्यायालय ने इन लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इन्हें नियमित करने का सरकार को निर्देश दिया था लेकिन बिहार सरकार ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी.
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सर्वोच्च न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए प्रत्येक मामले की जांच कर कर्मचारियों को नियमित करने का निर्देश दिया लेकिन इसका उचित अनुपालन नहीं हुआ. बुधवार को न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि सरकार अपनी नीति में बदलाव करते हुए दो माह के भीतर इन शिक्षकों तथा शिक्षकेतर कर्मियों को नियमित करे वसारी सुविधा के साथ उन्हें बकाया वेतन भी दिया जाए.
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए याची झारखंड राज्य प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अरशद इमाम ने कहा, ‘‘30 साल बाद ही सही लेकिन कोर्ट ने सही फैसला दिया है. हम सभी को हाई कोर्ट पर भरोसा था.
शिक्षक दिवस पर इससे बड़ा तोहफा कोई नहीं हो सकता है. इसी दिन का हम भी को बेसब्री से इंतजार था.’’
(इनपुट- भाषा)
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न्यायमूर्ति डॉ. एसएन पाठक की पीठ ने बुधवार को अपने आदेश में इनको दो माह में नियमित करने व बकाया वेतन भुगतान करने का राज्य सरकार को आदेश दिया. वर्ष 1985 से प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय के शिक्षक बिना वेतन के काम रहे थे.याचिकाकर्ताओं ने बताया कि सरकार ने जब इनकी नहीं सुनी तो 226 शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर नियमित करने व बकाया भुगतान की मांग की. पूर्व में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद
कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
वास्तव में बिहार सरकार ने अपनी एक योजना के तहत प्रोजेक्ट विद्यालयों में 1981 से लेकर 1985 तक लगभग 650 शिक्षकों की चार चरणों में बहाली की थी. बिहार में वर्ष 81-82 में नियुक्ति हुए शिक्षकों को नियमित कर दिया
गया. शेष शिक्षकों को छोड़ दिया गया और उन्हें नियमित नहीं किया गया. 1989 में पटना उच्च न्यायालय ने इन लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इन्हें नियमित करने का सरकार को निर्देश दिया था लेकिन बिहार सरकार ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी.
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सर्वोच्च न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए प्रत्येक मामले की जांच कर कर्मचारियों को नियमित करने का निर्देश दिया लेकिन इसका उचित अनुपालन नहीं हुआ. बुधवार को न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि सरकार अपनी नीति में बदलाव करते हुए दो माह के भीतर इन शिक्षकों तथा शिक्षकेतर कर्मियों को नियमित करे वसारी सुविधा के साथ उन्हें बकाया वेतन भी दिया जाए.
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए याची झारखंड राज्य प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अरशद इमाम ने कहा, ‘‘30 साल बाद ही सही लेकिन कोर्ट ने सही फैसला दिया है. हम सभी को हाई कोर्ट पर भरोसा था.
शिक्षक दिवस पर इससे बड़ा तोहफा कोई नहीं हो सकता है. इसी दिन का हम भी को बेसब्री से इंतजार था.’’
(इनपुट- भाषा)
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