मध्य प्रदेश में ओबीसी को दिए जाने वाले आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 फीसदी किए जाने को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर जबलपुर हाईकोर्ट अंतिम सुनवाई 28 अप्रैल से करेगा. हाईकोर्ट ने अंतिम निर्णय आने तक लोक सेवा आयोग द्वारा आयेाजित परीक्षा के चयन की सूची जारी करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट जबलपुर के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल तथा न्यायाधीश वी के शुक्ला की युगलपीठ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को विभिन्न पदों के लिए आयोजित परीक्षा में रिजल्ट को घोषित करने की अनुमति प्रदान करने से इंकार कर दिया. पीठ ने ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी किए जाने से संबंद्ध 13 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सरकार को प्रदेश में ओबीसी वर्ग की स्थिति, संख्या, सरकार सेवा में प्रतिनिधित्व सहित अन्य ब्योरा प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए हैं.
युगलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देशित किया है कि वे भी प्रकरण के संबंध में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करें. याचिका की अंतिम सुनवाई के दौरान कोई दस्तावेज स्वीकार नहीं किए जाएंगे. युगलपीठ ने 28 अप्रैल से याचिकाओं पर लगातार अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किए हैं.
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने के संबंध में अशिता दुबे सहित एक दर्जन याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गई थी. याचिकाकर्ता अशिता दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के अंतरिम आदेश हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2019 को जारी किए थे.
इसके बाद बीते 28 जनवरी को भी युगलपीठ ने पीएससी द्वारा विभिन्न पदों पर ली गई परीक्षाओं की चयन सूची में भी ओबीसी वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अंतरिम आदेश सुनाया था. अंतरिम आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए सरकार की तरफ से आवेदन दायर किया गया था. युगलपीठ ने आवेदन की सुनवाई करते हुए पीएससी को निर्देशित किया था कि वह विभिन्न पदों के लिए चयन प्रक्रिया जारी रखें, परंतु चयन सूची जारी नहीं करें.
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